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सोरठा ८५. इतले इम कहिवाय, ग्रह-दंडादिक प्रमुख जे।
जाण्या वतै ताय, बलि देख्या सुणिया जसु ।। स्मृता मन कर न्हाल, विज्ञाता अवधे करी।
शक सोम दिग्पाल, सोमकाइया नै बलि ।। ८७. *शक देव राजा तणा, महाराय सोम ने सोय। ८७. सक्कस्स णं देविदस्स देवरण्णो सोमस्स महारपणो इमे ए आगल कहिस तिक, पुत्र-स्थानक रे विनयवंत जोय ॥
देवा अहावच्चा अभिण्णाया होत्था, तं जहा'अहावच्च'--त्ति यथाऽपत्यानि तथा ये ते यथाऽपत्या
देवाः पुत्रस्थानीया इत्यर्थः। (वृ०-५० १६७) ८८. अंगारक
वैतालिक, लोहिताक्ष शनि जान। ८८. इंगालए वियालए लोहियक्खे सण्णिच्चरे चंदे सूरे सुक्के चंद्र सूर्य शुक्र बुद्ध गुरु, वलि राहु रे ए पुत्र नै स्थान ।। बद्रे बससई राष्ट्र
(श० ३१२५४) ८६. शक्र सुरिंद्र सुरराय ना, महाराय साम ना स्थित्ता ८९. सक्कस्स णं देविदस्स देवरणो सोमस्स महारणो इक पल्यतीजो भाग पल्यतणों, इक पल्योपम रे सुत-स्थानक नी ठित्त।
सतिभागं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता। अहावच्चाभिण्णा
याणं देवाणं एग पलिओवमं ठिई पणत्ता। ६०. पल्य अधिकेरी स्थिति छ, चंद्र सूर्य नी जाण ।
' ६०. एतेषु च यद्यपि चन्द्र सूर्ययोर्वर्षलक्षाद्यधिकं पल्योपमं अल्प अधिक माटै नां गिणी, वृत्ति माहै रे एहवी वाण ।।
तथाऽप्याधिक्यस्याविवक्षितत्वादङ्गारकादीनां च ग्रहत्वेनपल्योपमस्यैव सद्भावात् पल्योपममित्युक्तमिति ।
(वृ०-५० १६७) ६१. एहवो महाऋद्धिवान छै, यावत्
महाजमा। ११. एमहिड्ढीए जाब महाणुभागे सोमे महाराया। लोकपाल पूर्व दिशि तणों, सोम महाराजा रे तिणरो अति आघ ।।
(श० ३।२५५) १२. अंक सैंतीस देश ए, गुणतरमी
ढाल । भिक्षु भारीमाल ऋषराय थी, वारू संपति रे 'जय-जश' मंगलमाल ।।
शुक्र युद्धक, लोहिताश
६. शक्र
ढाल : ७०
दूहा किहां प्रभु ! शक सुरिद्र नां, सुर राजा नां जाण । जम महाराजा तेहनों, वरसिटू महाविमाण? जिन कहै-सोहम्म वडसके, महाविमान ते जोय । दक्षिण दिशि माहै अछ, सुधर्म - कल्पै सोय ।। असंख सहस्र जोजन गयां, शक्र सूरिंद्र नां जाण । जम महाराजा नों अछ, वरसिट्ठ महाविमाण ।।
१. कहिणं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महा
रणो वरसिठे नाम महाविमाणे पण्णत्ते? २. गोयमा ! सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स दाहिणे णं
सोहम्मे कप्पे ३. असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई वीईवइत्ता, एत्थ णं
सक्कस्स देविंदस्स देवरगणो जमस्स महारगणो वरसिट्ठे नामं महाविमाणे पण्णत्ते४. अद्धतेरसजोयणसयसहस्साई-जहा सोमस्स विमाणं
जोजन साढा बार लख, सोम विमान नी सोय ।
वक्तव्यता कही तिम इहां, जम नी कहिवी जोय ।। *लय-रावण राय आशा अधिकी अथाय
तहा
श०३, उ०७, ढा०६६, ७० ४०१
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