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________________ ३८. ४०. ४४. ४७. 'मूल बीज नी होय, नवमीं चउभंगी। ए मल संघाते नव कही ।। ___ कंद संघाते आठ, कंद रु खंध नी। ___ चउभंगी पहिली सही ।। कंद-त्वचा नी जोय, 'कद-शाखा तणीं। कंद-प्रवाल चउथी लही ।। "कंद-पत्र 'कंद-पुष्प, कंद-फल सातमी। कंद-बीज अष्टमी सही ।। खंध संघाते सात, 'खंध-त्वचा तणी। खंध-शाखाखंध-प्रवाल नीं।। 'खध-पत्र खंध-पप्प, खंध फल नी छठी। सप्तमी खंध नैं बीज नी ।। षट है त्वचा संघात, त्वचा-शाखा तणी। दूजी त्वचा-प्रवाल नी ।। त्वचा-पत्र 'त्वच-पप्प, त्वच-फल नी बली। छठी त्वचा रु बीज नी ।। शाखा संघात पंच, शाख-प्रवाल नी। शाख-पत्र दूजी जमी।। 'शाखा-पुष्प पिछाण, शाखा-फल तणी। "शाखा-बीज ए पंचमी ।। प्रवाल साथै च्यार, 'प्रवाल-पत्र नीं। प्रवाल-पुष्प तणी वली ।। 'प्रवाल-फल नी पेख, प्रवाल-बीज नीं। प्रवाल सूं ए चिउं मिली। पत्र संघाते तीन, 'पत्र रु पुष्प नीं। ___पत्र-फले पत्र-बीज री।। पुष्प संघाते दोय, 'पुष्प र फल तणी। पुष्प-बीज नी दूसरी ।। फल संघाते एक, फल नै बीज नी। पंतालीस सर्व कही ।। नव अठ सत पट पंच, चिउं त्रिण द्वि इक । इम पैंतालीस लही ।। हे भगवत! अणगार, भावित - आतमा। फल देखै स्यूं तरु तणु ? कहै देखें तसं बीज, इहां पिण चउभंगी। पैतालीसमी ए भणुं ।। ४८. ५४. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा रुक्खस्स कि फलं पासइ? ५५. बीयं पासइ? च उभंगो। (श० ३।१६३) ३७६ भगवती-जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003617
Book TitleBhagavati Jod 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1981
Total Pages474
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size25 MB
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