SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 195
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८४. माहण थावक नै कहै, तसं लेखै अवलोय ! श्रावक भणी असुद्ध दियां, निगोद नों बंध होय ।। ठाणांग ठाणे तीसरे, चोथै उद्देसै ताय । श्रमण माहण नैं ऋद्धि देखायवा, सुर पृथ्वी कंपाय ।। तथारूप श्रमण माहण इहां, आख्या मुनि नैं ताय । वा शब्द समुच्चय अर्थ छै, वलि अपर नाम पेक्षाय ।। ठाणांग ठाणे तीसरै, चउथा उदेशा माय । छद्मस्थ मनुष्य नैं इक-चक्षु, सुर बे-चक्षु पाय ।। तथारूप श्रमण वा माहण नैं, उत्पन्न दर्शण नाण । तीन - चक्षु तेहनें कही, ए चउदपूर्वधर जाण ।। एक चक्षु ते आंख छ, द्वितीय परम श्रृत जाण । अवधि तणी तीजी चक्षु इहां, माहण मुनी पिछाण ।। तथारूप श्रमण माहण इहां, पूर्वधर मुनि पेख । वा शब्द समुच्चय अर्थ छै, कांड अपर नाम थी देख ।। ठाणांग ठाणे तीसरे, चउथै उदेशै तंत। तथारूप श्रमण वा माहण ने, परम-अवधि उपजत ।। प्रथम देखै ऊर्द्धलोक नैं, पछै तिरछू जाणेह। अधोलोक जाणे पछ, दुर्लभ जाणवू एह ।। ए परम-अवधि मूनि में ज छै, श्रमण माहण कह्यो तास । वा शब्द समुच्चय अर्थ छै, जोवो हीय विमास ।। भगवती पंचम शतक में, बलि ठाणांग तीज ठाण । दीर्घायु शुभ अशुभ नों, आख्यो श्री जगभाण ॥ तथारूप श्रमण वा माहण नै, हेली निंदी अपमान। अमनोज्ञ आहार प्रतिलाभियां, अशुभ दीर्घायु बंधान ।। तथारूप श्रमण वा माहण नै, करि वंदणा ने नमस्कार। बह सत्कार देइ करी, बलि सनमानी तार ।। कल्लाणं मंगलं देवयं प्रशस्त मन हेतु जाण । करि सेव मनोज्ञ आहार दियां, शुभ दीर्घायु बंधाण ।। वा शब्द इहां पिण छै सही, बलि श्रमण माहण ना ताम । कल्लाणं मंगलं देवयं, चेइयं ए च्यारूं नाम ।। इहां समण माहण साधूज है, तेहनां ए च्यारूं नाम । ए नाम चिउं श्रावक तणा, न कह्या किणहि ठाम ।। भगबती आठमा शतक में, तथारूप असंजती जाण । सचित-अचित प्रतिलाभियां, एकत पाप पिछाण ।। मूढ कहै पडिलाभ ते गुरु बुद्धि दीधां पाप। पडिलाभेद पाठ में, गुरु बुद्धि नी करै स्थाप ।। 0 १००. १६२ भगवती-जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003617
Book TitleBhagavati Jod 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1981
Total Pages474
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy