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________________ दूसरा प्रकरण प्रत्यक्ष ज्ञान मूल पाठ संस्कृत छाया हिन्दी अनुवाद नाण-पदं ज्ञान-पदम् २. नाणं पंचविहं पण्णत्तं, तं जहा- ज्ञानं पञ्चविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा- आभिणिबोहियनाणं सुयनाणं आभिनिबोधिकज्ञानं श्रुतज्ञानं अवधिओहिनाणं मणपज्जवनाणं ज्ञानं मनःपर्यवज्ञानं केवलज्ञानम् । केवलनाणं॥ ज्ञान-पद २. ज्ञान पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे---- १. आभिनिबोधिकज्ञान २. श्रुतज्ञान, ३. अवधिज्ञान ४. मनःपर्यवज्ञान ५. केवलज्ञान। ३. ज्ञान संक्षेप में दो प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे १. प्रत्यक्ष २. परोक्ष। ३.तं समासओ दुविहं पण्णत्तं, तं तत् समासतः द्विविधं प्रज्ञप्तं, ___ जहा-पच्चक्खं च परोक्खं च ॥ तद्यथा-प्रत्यक्षञ्च परोक्षञ्च । पच्चक्ख-पदं प्रत्यक्ष-पदम् ४. से कि तं पच्चक्खं ? पच्चक्खं अथ कि तत् प्रत्यक्षम् ? प्रत्यक्षं दुविहं पण्णत्तं, तं जहा-इंदिय- द्विविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा-इन्द्रियपच्चक्खं च नोइंदियपच्चक्खं च । प्रत्यक्षञ्च नोइन्द्रियप्रत्यक्षञ्च । प्रत्यक्ष-पद ४. वह प्रत्यक्ष क्या है ? प्रत्यक्ष दो प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे१. इन्द्रिय प्रत्यक्ष २. नोइन्द्रिय प्रत्यक्ष ५. से कि तं इंदियपच्चक्खं ? इंदिय- अथ किं तद् इन्द्रियप्रत्यक्षम् ? पच्चक्खं पंचविहं पण्णत्तं, तं जहा इन्द्रियप्रत्यक्ष पञ्चविधं प्रज्ञप्तं, -सोइंदियपच्चक्खं चक्खिदिय- तद्यथा-श्रोत्रेन्द्रियप्रत्यक्षं, चक्षुपरचक्खं घाणिदियपच्चक्खं रिन्द्रियप्रत्यक्षं, घ्राणेन्द्रियप्रत्यक्षं, जिभिदियपच्चक्खं फासिदिय- जिह्वेन्द्रियप्रत्यक्षं स्पर्शनेन्द्रियप्रत्यक्षम् । पच्चक्खं । सेत्तं इंदियपच्चक्खं ॥ तदेतद् इन्द्रियप्रत्यक्षम् । ५. वह इन्द्रिय प्रत्यक्ष क्या है ? इन्द्रिय प्रत्यक्ष पांच प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-१. श्रोत-इन्द्रिय प्रत्यक्ष २. चक्षुइन्द्रिय प्रत्यक्ष २. घ्राण-इन्द्रिय प्रत्यक्ष ४. जिह्वा-इन्द्रिय प्रत्यक्ष ५. स्पर्श-इन्द्रिय प्रत्यक्ष । बह इन्द्रिय प्रत्यक्ष है। ६. से कि तं नोइंदियपच्चक्खं ? अथ किं तद् नोइन्द्रियप्रत्यक्षम् ? नोइंदियपच्चक्खं तिविहं पण्णतं, नोइन्द्रियप्रत्यक्षं त्रिविधं प्रज्ञप्तं, तं जहा-ओहिनाणपच्चक्खं मण- __ तद्यथा-अवधिज्ञानप्रत्यक्षं, मनःपज्जवनाणपच्चक्खं केवलनाण- पर्यवज्ञानप्रत्यक्ष, केवलज्ञानप्रत्यक्षम् । पच्चक्खं ॥ ६. वह नोइन्द्रिय प्रत्यक्ष क्या हैं ? नोइन्द्रिय प्रत्यक्ष तीन प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-१. अवधिज्ञान प्रत्यक्ष २. मन:पर्यवज्ञान प्रत्यक्ष २. केवलज्ञान प्रत्यक्ष । ओहिनाण-पदं अवधिज्ञान-पदम् ७. से कि तं ओहिनाणपच्चक्खं ? अथ किं तद् अवधिज्ञानप्रत्यक्षम्? ओहिनाणपच्चक्खं दुविहं पण्णतं, अवधिज्ञानप्रत्यक्षं द्विविधं प्रज्ञप्त, तं जहा-भवपच्चइयं च खओव- __ तद्यथा-भवप्रत्ययिकञ्च क्षायोसमियं च । पशमिकञ्च । दुण्हं भवपच्चइयं, तं जहा–देवाण द्वयोः भवप्रत्ययिक, तद्यथा -- य, नेरइयाण य। देवानां च, नरयिकाणां च । दुहं खओवसमियं, तं जहा- द्वयोः क्षायोपशमिक, तद्यथा अवधिज्ञान-पद ७. वह अवधिज्ञान प्रत्यक्ष क्या है ? अवधिज्ञान प्रत्यक्ष दो प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-१. भवप्रत्ययिक २. क्षायोपशमिक । भवप्रत्ययिक अवधिज्ञान देव और नैरयिक इन दो के होता है। क्षायोपशमिक अवधिज्ञान मनुष्य और पंचेन्द्रिय-तिर्यक्योनिक इन दो के होता है।' Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003616
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nandisutra
File Size9 MB
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