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________________ परिशिष्ट ३ : कथा २२१ ५. मुक्ता दृष्टान्त' मणिकार मोती को आकाश में फेंककर सूअर के बाल को इस तरह खड़ा करता है कि ऊपर से गिरते हुए मोती के छेद में वह प्रवेश कर जाए। ६. घृत दृष्टान्त' घृत विक्रेता जो अपने विज्ञान के प्रकर्ष पर पहुंचा हुआ है, चाहे तो गाड़ी में बैठे-बैठे ही कुण्ठिकानाल में घी का प्रक्षेप कर सकता है। ७. प्लवक दृष्टान्त' प्लवक (नट) आकाशस्थित बांस पर चढ़कर करतब दिखाता है। ८. तुन्नाग दृष्टान्त' (रफू करने वाला) अपने विज्ञान के प्रकर्ष पर पहुंचा हुआ दर्जी इस प्रकार की सिलाई करता है कि दूसरे को पता ही नहीं चले कि यह सिलाई किया हुआ है। ९. वर्धकि दृष्टान्त अपने विज्ञान के प्रकर्ष पर पहुंचा हुआ बढ़ई देवकुल, रथ आदि के प्रमाण को जान लेता है। १०. आपूपिक दृष्टान्त' (रसोइया) आपूपिक हलवाई आटे को मापे बिना ही अपूप (रोटी) का परिमाण बता देता है। ११. कुम्भकार दृष्टान्त' अपने ज्ञान के प्रकर्ष पर पहुंचा हुआ कुम्भकार विवक्षित घट के लिए प्रमाण युक्त मिट्टी लाता है । १२. चित्रकार चित्रकार रेखा आदि का माप किए बिना ही प्रमाणयुक्त चित्र बना देता है अथवा कुञ्चिका के अन्दर इतना ही रंग ग्रहण करता है जिससे उसका कार्य पूर्ण हो जाए। ५. पारिणामिको बुद्धि के दृष्टांत १. अभय दृष्टांत प्रद्योत ने राजगृह नगर को घेर लिया । अभयकुमार ने पूर्व सूचना के आधार पर प्रद्योत के आने से पहले ही सेना के पड़ाव स्थल पर प्रचुर धन गड़वा दिया। फिर चण्डप्रद्योत के पास पहुंचा। प्रणाम करके बोला--मेरे लिए आप और पिताजी दोनों समान हैं । मैं आपके लिए हितकारी बात बताता हूं। चण्डप्रद्योत ने बात सुनने की उत्सुकता दिखाई । अभयकुमार बोला-पिताजी ने आपके सेनापति को रिश्वत देकर अपने वश में कर लिया। वे लोग प्रातःकाल आपको पकड़वा देंगे। राजा को विश्वास दिलाने के लिए वह १-३. (क) आवश्यक चूणि, पृ. ५५६ ५-८. (क) आवश्यक चूणि, पृ. ५५७ (ख) आवश्यक नियुक्ति हारिभद्रीया वृत्ति पृ. २८५ (ख) आवश्यक नियुक्ति हारिभद्रीया वृत्ति, पृ. २८५ (ग) आवश्यक नियुक्ति मलयगिरीया वृत्ति , प. ५२६ (ग) आवश्यक नियुक्ति मलयगिरीया वृत्ति. प. ५२७ (घ) नन्दी मलयगिरीया वृत्ति, प. १६५ (घ) नन्दी मलयगिरीया वत्ति, प. १६५ (च) नन्दी हारिभद्रीया वृत्ति टिप्पणकम्, पृ. १३९ (च) नन्दी हारिभद्रीया वृत्ति टिप्पणकम् पृ. १३९ (छ) आवश्यक नियुक्ति दीपिका, प १८२ (छ) आवश्यकनियुक्ति दीपिका, प. १८२ ४. (क) आवश्यक चूणि, पृ. ५५६ ९. (क) आवश्यकचूणि, पृ. ५५७ (ख) आवश्यक नियुक्ति हारिभद्रीया वृत्ति, पृ. २८५ (ख) आवश्यक नियुक्ति हारिभद्रीया वृत्ति, पृ. २८५,२८६ (ग) आवश्यक नियुक्ति मलयगिरीया वृत्ति, प. ५२६,५२७ (ग) आवश्यक नियुक्ति मलयगिरीया वृत्ति, प. ५२७,५२८ (घ) नन्दी मलयगिरीया वृत्ति, प. १६५ (घ) नन्दी मलयगिरीया वृत्ति, प. १६५,१६६ (च) नन्दी हारिभद्रीया वृत्ति टिप्पणकम् पृ. १३९ (च) नन्दी हारिभद्रीया वृत्ति टिप्पणकम्, पृ. १४० (छ) आवश्यक नियुक्ति दीपिका, प. १८२ (छ) आवश्यक नियुक्ति दीपिका प. १८२ Jain Education Intemational For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.003616
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nandisutra
File Size9 MB
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