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विषयानुक्रम
गाथा व सूत्र पृष्ठ प्रकरण पहला श्रुतधर आचार्य
गाथा १-४४ सूत्र १ १-३२ महावीर स्तुति संघ स्तुति
४-१७ तीर्थंकरावलि
१८,१९ ७ गणधरावलि
, २०,२१ ७ शासन स्तुति
२२७ स्थविरावलि
२३-४०८ दुष्यगणी व अन्य आगमधरों को नमस्कार, ४१-४३ १० श्रोताओं के १४ प्रकार परिषद् के ३ प्रकार टिप्पण
११-३२ प्रकरण दूसरा प्रत्यक्ष ज्ञान
२-३३ ३३-७६ ज्ञान के ५ प्रकार
२ ३७ प्रमाण के २ प्रकार प्रत्यक्ष ज्ञान के भेद-प्रभेद अवधि ज्ञान के प्रकार
७-९ ३७ आनुगामिक अवधि ज्ञान के भेद-प्रभेद १०-१५ ३८ आनुगामिक अवधि ज्ञान का विषय अनानुगामिक अवधि ज्ञान का विषय
१७ ३९ वर्धमान क अवधि ज्ञान का विषय हीयमानक अवधि ज्ञान
१९ ४१ प्रतिपाति अवधि ज्ञान का विषय
२० ४१ अप्रतिपाति अवधि ज्ञान का विषय
२१ ४२ अवधि ज्ञान का जघन्य एवं उत्कृष्ट विषय २२ ४२ मनःपर्यव ज्ञान व भेद-प्रभेद
२३-२५ ४३ केवल ज्ञान व भेद-प्रभेद
२६-३३ ४७ टिप्पण
४९-७६ प्रकरण तीसरा परोक्ष-आभिनिबोधिक ज्ञान
३४-५४ ७७-१०६ परोक्ष ज्ञान आभिनिबोधिक ज्ञान के प्रकार
३७ ८१ अश्रुतनिश्रित आभिनिबोधिक ज्ञान के प्रकार औत्पतिकी बुद्धि के लक्षण एवं उदाहरण ३८।२-४ २ वैनयिकी बुद्धि के लक्षण एवं उदाहरण ३८१५-७ ८२ कर्मजा बुद्धि के लक्षण एवं उदाहरण ३८।८-९ ८३
पारिणामिकी बुद्धि के लक्षण एवं उदाहरण ३८.१०-१३ ८३ श्रुतनिश्रित आभिनिबोधिक ज्ञान के भेद-प्रभेद ३९-४९ ८४ अवग्रह आदि का कालमान
५० ८५ व्यञ्जनावग्रह का प्ररूपण प्रतिबोधक व मल्लक दृष्टांत से
५१-५३ ८५ आभिनिबोधिक ज्ञान का विषय
५४ ८६ टिप्पण
९०-१०६ प्रकरण चौथा परोक्ष-श्रुतज्ञान
५५-७३ १०७-१३० श्रुतज्ञान का भेद अक्षर श्रुत
५६-५९ १११ अनक्षर श्रुत
६०११२ संज्ञिश्रुत के भेद संज्ञि-असंज्ञि श्रुत का विवेचन
६२-६४ ११२ सम्यक्श्रुत
६५,६६ ११३ मिथ्याश्रुत --लौकिक ग्रंथ
६७ ११३ सादि, सपर्यवसित, अनादि, अपर्यवसित ६८-७१ ११४ गमिक, अगमिक
७२,७३ ११५ टिप्पण
११६-१३० प्रकरण पांचवां द्वादशांग विवरण
७४-१२७ १३१-१९० अंग बाह्य
७४ १३५ आवश्यक
७५ १३५ आवश्यक व्यतिरिक्त उत्कालिक
७७ १३५ कालिक
७८,७९ १३६ अंगप्रविष्ट के भेद
८०-१२७ १३६ आयार
५११३७ सूत्रकृत
८२१३७ स्थान
८३ १३८ समवाय
८४ १३९ व्याख्याप्रज्ञप्ति
८५ १४० ज्ञातधर्मकथा
८६ १४१ उपासकदशा
८७ १४२ अन्तकृतदशा
८८ १४३ अनुत्तरोपपातिकदशा
८९ १४४ प्रश्नव्याकरण
९० १४५
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