SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 209
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १८४ १. उत्पाद पूर्व २. अग्रेयणीय पूर्व ३. वीर्य पूर्व ४. अस्तिनास्तिप्रवाद पूर्व ५. ज्ञानप्रवाद पूर्व ३. सत्यप्रवाद पूर्व ७. आत्मप्रवाद पूर्व पूर्व १. प्रत्याख्यान पूर्व . ११. अवध्य पूर्व नंदी सर्व द्रव्य व पर्यायों के उत्पादन का जीव आदि के उत्पाद, व्यय, का प्रज्ञापन | प्रज्ञापन । सब द्रव्यों, पर्यायों और सब जीवों के परिमाण का प्रज्ञापन | Jain Education International जीव और अजीव के वीर्य प्रज्ञापन । अस्तित्व और नास्तित्व प्रज्ञापन । का ज्ञान मीमांसा - ज्ञान और उसके भेदों का प्रज्ञापन । सत्य वचन का प्रज्ञापन । का आत्मा का नयों के द्वारा प्रज्ञापन | कर्म के स्वरूप और प्रकृति बन्ध आदि भेदों का प्रज्ञापन | सर्व प्रत्याख्यान प्रज्ञापन | के स्वरूप का अतिशायी विद्याओं का प्रज्ञापन । १. कदी पूर्णि, पृ. ७५,७६ ज्ञान, तप आदि की सफलता एवं प्रमाद आदि की निष्फलता का प्रज्ञापन | धवला अंग का वर्णन | द्रव्य भाव आदि की अपेक्षा से परिमित काल व अपरिमित काल के प्रत्याख्यान, उपवासविधि, पांच समिति और तीन गुप्ति का प्रज्ञापन । अंगुष्ठ प्रश्न आदि सात सौ अल्पविद्याओं का तथा रोहिणी आदि पांच सौ महाविद्याओं, अन्तरिक्ष आदि आठ महानिमित्तों का प्रज्ञापन। सूर्य, चन्द्रमा, नक्षत्र व तारागण के चार क्षेत्र, उपपाद स्थान, गति तथा उनके फल तथा तीर्थंकर आदि के महाकल्याणकों का प्रज्ञापन । प्रज्ञापन । प्रज्ञापन । १२. प्राणायु पूर्व १३. क्रियाविशाल पूर्व १४. लोकविसार पूर्व त लोक के बिन्दु सर्वाक्षरसन्निपात आदि का प्रज्ञापन आयु आदि प्राणों का भेद सहित आयुर्वेद, भूतिकर्म और प्राणायाम का भेद-प्रभेद सहित प्रज्ञापन । | कार्यक्रिया आदि क्रियाओं का भेद सहित | ७२ कलाओं तथा ६४ गुणों का नृत्य, गीत, लक्षण, छन्द, आदि शास्त्रों का प्रज्ञापन । परिकर्म, व्यवहार, रज्जुराशि कलासवण्ण (गणित का भेद विशेष) वर्ग, घन, बीजगणित और मोक्ष का प्रज्ञापन । प्रज्ञापन । प्रज्ञापन | ३. कषायपाहुड़, पृ. १३९- १४८ सात सौ सुनय और दुर्नयों का तथा छह द्रव्य, नौ पदार्थ और पांच अस्तिकाय का प्रज्ञापन । आरमनीयं परवीर्य, उभय क्षेत्र, काल-तप- वीर्य का प्रज्ञापन । सब द्रव्यों का स्वरूपादि ( स्व द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव) चतुष्टय की अपेक्षा अस्तित्व तथा पर द्रव्य आदि चतुष्टय की अपेक्षा नास्तित्व का प्रज्ञापन । ज्ञान -- प्रत्यक्ष-परोक्ष प्रज्ञापन | आदि का वाग्गुप्ति, वाक्संस्कार के कारण, वचन व्यवहार सत्य आदि दसविध सत्यों प्रयोग, भाषा के प्रकार, वक्ता के असत्य सत्य वचन का प्रज्ञापन । का प्रज्ञापन । सप्तभंगी के द्वारा समस्त पदार्थों की निरूपणविधि का प्रज्ञापना । स्व-पर- उभय-क्षेत्र भव-तप-वीर्य का प्रज्ञापन । जीव अजीव के अस्तित्व नास्तित्व का प्रज्ञापन | ज्ञान-अज्ञान का प्रज्ञापन । श्रीव्य जीव, वेत्ता, विष्णू, भोक्ता बुद्ध आदि के रूप में आत्मा का प्रज्ञापन । आठ प्रकार के कर्मों का वर्णन । आठ व्यवहार, चार बीज और मोक्ष की ओर ले जाने वाली क्रियाओं एवं उनके फल का प्रज्ञापन २. षट्खण्डागम, पुस्तक १, पृ. ११५-१२३ नंदी For Private & Personal Use Only जयधवला' नाना नय के विषयभूत तथा क्रम अक्रम से होने वाले उत्पाद व्यय और धीव्य का प्रतिपादन । जीव की सिद्धि और आत्मा के स्वरूप का प्रज्ञापन समवदान क्रिया, ईर्यापथिकी क्रिया तप और अधः कर्म का प्रज्ञापन । नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव भेदयुक्त परिमित और अपरिमित काल वाले प्रत्याख्यान का प्रज्ञापन । अंगुष्ठ प्रश्न आदि सात सौ मंत्र तथा रोहिणी आदि महाविद्याओं का, उनकी साधना विधि एवं फल का प्रज्ञापन । ग्रह, नक्षत्र, चन्द्र और सूर्य के चार क्षेत्र अष्टांग महानिमित्त और तीर्थकर, चक्रवर्ती बलदेव आदि के कल्याणकों का प्रज्ञापन । दसविध प्राणों की हानि वृद्धि का अलंकार www.jainelibrary.org
SR No.003616
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nandisutra
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy