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प्र० ३ ० ५३-५४, टि०६-७
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है, मन का अर्थावग्रह निर्दिष्ट है। चूर्णिकार ने किसी अन्य परम्परा का आश्रय लिया है। जिनभद्रगणि ने इस प्रकार की परम्परा का निरसन किया है।" व्यञ्जनावग्रह का संबंध ज्ञेय वस्तु से होता है। चूर्णिकार ने व्यञ्जनावग्रह का संबंध मनोद्रव्य वर्गणा के साथ स्थापित किया है । इसलिए यह व्यञ्जनावग्रह की एक नई अवधारणा है ।
अवग्रह आदि के बहु-बहुविध आदि बारह प्रकार सर्वप्रथम तत्त्वार्थ सूत्र में उपलब्ध होते हैं।' स्थानांग में क्षिप्र आदि छः प्रकार हैं। उनके प्रतिपक्षी छः प्रकार का निर्देश नहीं है। प्रस्तुत आगम में उसका उल्लेख नहीं है। इससे प्रतीत होता है कि नन्दीकार ने ज्ञान मीमांसा की किसी भिन्न परम्परा का अनुसरण किया है ।
चूर्णिकार ने क्रम के बारे में चर्चा की है। धारणा तक पहुंचने के लिए अवग्रह, ईहा अवाय और धारणा के क्रम का नियम है। अगृहीत की ईहा, अनीहित का अवाय, अवाय के बिना धारणा नहीं हो सकती। इसलिए आभिनिबोधिकज्ञान में इस क्रम का नियम अनिवार्य है ।
ध्वनि तरंगें
पूरण
१. नवात्ताणि, नंदी, सूत्र ४१, ४२ :
२. विशेषावश्यक भाष्य, गा. २४०, २४१ :
सूत्र ५४
७. ( सूत्र ५४ )
प्रस्तुत सूत्र में आभिनिबोधिकज्ञान के चार प्रकार बतलाए गए हैं। ज्ञान के ये चार प्रकार ज्ञेय के आधार पर किए गए हैं । ज्ञेय चार हैं- द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव । आभिनिबोधिकज्ञानी सर्व द्रव्य, सर्व क्षेत्र, सर्व काल और सर्व भावों को जानता है। यहां 'सर्व' शब्द आदेश सापेक्ष है। आदेश का अर्थ प्रकार अथवा अपेक्षा है। आदेश के दो रूप बनते हैं
१. सामान्य आदेश
२. विशेष आदेश ।
गिज्झस्स वंजणाणं जं गहणं वंजणोग्गहो स मओ । गहणं मणो न गिज्झं को भागो वंजणे तस्स ?
सचिन्तन होणं जह तय न समयम्मि । पढमे चैव तमत्थं गेण्हेज्ज न वंजणं तम्हा ॥
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अभिनिबोधिकज्ञानी सब द्रव्यों को जानता है। यह वक्तव्य द्रव्य सामान्य की अपेक्षा से है । सूक्ष्म परिणत द्रव्यों को वह नहीं जानता, यह वक्तव्य विशेष आदेश की अपेक्षा से है। इसी प्रकार क्षेत्र, काल और भाव के साथ जुड़ा हुआ 'सर्व' शब्द भी आदेश सापेक्ष है।
३. तत्रम् १०१६ : बहुबहुविधक्षिप्रानिश्रितासन्दिग्धवाणी तेतराणाम् ॥
श्रवण प्रक्रिया के तीन चरण र कुछ है।
शब्द होना चाहिए। शब्द है।
४. ठाणं, ६।६१ से ६४
५. (क) नन्दी चूर्ण, पृ. ४२ : इहाऽऽदेसो नाम प्रकारो । सो
य सामण्णतो विसेसतो य ।
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(ख) हारिभद्रीया वृत्ति, पृ. ५५
(ग) मलयगिरीया वृत्ति, पृ. १८४ १८५
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