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नागेन्द्रगच्छ
७६३ १४. जम्बूचरियं, संपा० मुनि जिनविजय, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ४४, बम्बई
१९५९ ई० स०, हिन्दी भूमिका, पृ० ५. १५. वही, पृ० १९८-१९९, भूमिका, पृ० ३. १६. कुवलयमालाकहा, संपा० आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, सिंघी जैन ग्रन्थमाला,
ग्रन्थांक ४५, बम्बई १९५६ ई० स०, पृ० २८२-२८३. १७. M. A. Dhaky- "The Nagendra Gachha", p. 38. १८. मोहनलाल दलीचंद देसाई, जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, (गुजराती), बम्बई,
१९३२ ई० सन्, पृ० १९२. पं० लालचन्द भगवानदास गाँधी "शक सं० ९१०नो गुजरातनी मनोहर जिनप्रतिमा" ऐतिहासिकलेखसंग्रह, श्री सयाजी साहित्यमाला, ग्रन्थांक ३३५, बड़ोदरा १९६३,
ई० सन्. पृ० ३२०-३३०. २०. वही, पृष्ठ ३२४. २१. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा, संपा० बीकानेरजैनलेखसंग्रह, कलकत्ता, वीर निर्वाण
संवत् २४८२ (ई० स० १९५६), पृ० ३९२, लेखांक २७६६.
S. R. Rao, “Jaina Bronzes from Lilavdeva” Journal of Indian __Museums. Vol. XI, 1955, A. D., p. 33 and U. P. Shah "Some
Bronzes from Lilvadeva (Panch Mahals)", Bulletin of the Baroda Museum and Picture Gallery, Baroda, Vol. IX 1952-53 A. D., pp. 43-51 and plates I-II. मुनि विशालविजय, संपा०, राधनपुरप्रतिमालेखसंग्रह, भावनगर १९६० ई०, पृ० ३, लेखांक २ । मालपुरा से प्राप्त पार्श्वनाथ की धातु की एक तिथिविहीन प्रतिमा पर भी नागेन्द्रकुल का उल्लेख मिलता है। प्रो० एम० ए० ढांकी ने इसे ई० सन् की १०
११ वीं शती का बतलाया है. २४. पं० अम्बालाल प्रेमचन्द शाह, जैनतीर्थसर्वसंग्रह, जिल्द १, भाग २, अहमदाबाद
१९५३ ई०, पृ० १७४. लक्ष्मणभोजक, "जूनागढ़नी अम्बिका देवीनी धातुप्रतिमानो लेख" जैनसाहित्य के आयाम, भाग २, पं० बेचरदास दोशी स्मृतिग्रन्थ, संपा०, प्रो० एम० ए० ढांकी
और प्रो० सागरमल जैन, वाराणसी १९८७ ई० स०, गुजराती विभाग, पृ० १७९. २६. पं० लालचन्द भगवानदास गाँधी, "सिद्धराज अने जैनो" ऐतिहासिकलेखसंग्रह,
पृ० ७९.
२२.
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