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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास अभयदेवसूरि
हेमचन्द्रसूरि
श्रीचन्द्रसूरि
देवभद्रसूरि (संग्रहणीवृत्ति के रचनाकार) यह कृति वि० सं० की १३वीं शती के प्रथम अथवा द्वितीय दशक की रचना मानी जा सकती है। पाण्डवचरितमहाकाव्य
यह लोकप्रसिद्ध पाण्डवों के जीवनचरित पर जैनपरम्परा पर आधारित ८ हजार श्लोकों की रचना है । इसके रचनाकार मलधारी देवप्रभसूरि हैं । ग्रन्थ की प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि ग्रन्थकार ने अपने ज्येष्ठ गुरुभ्राता देवानन्दसूरि के अनुरोध पर यह रचना की । इस कार्य में उन्हें अपने एक अन्य गुरुभ्राता यशोभद्रसूरि और शिष्य नरचन्द्रसूरि से भी सहायता प्राप्त हुई । प्रशस्ति में उल्लिखित ग्रन्थकार की गुरु-परम्परा इस प्रकार है:
अभयदेवसूरि
हेमचन्द्रसूरि
विजयसिंहसूरि
श्रीचन्द्रसूरि
मुनिचन्द्रसूरि
देवानन्दसूरि
देवप्रभसूरि
यशोभद्रसूरि
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