________________
हर्षपुरीयगच्छ अपरनाम मलधारीगच्छ
T हेमचन्द्रसूरि
श्रीचन्द्रसूरि
(वि० सं० ११९३/ ई० सन् ११३५ में धर्मोपदेशमालावृत्ति
के रचनाकार
विबुधचन्द्रसूरि (धर्मोपदेशमालावृत्ति की प्रथमादर्श प्रति के लेखक )
सुपासनाहचरिय
प्राकृत भाषा में ८००० गाथाओं में निबद्ध यह कृति वि० सं० ११९९ / ई० सन् ११४३ में मलधारी लक्ष्मणगणि द्वारा रची गयी है । इसकी प्रशस्ति में ग्रन्थकार ने अपनी गुरु- परम्परा का इस प्रकार उल्लेख किया है :
Jain Education International
जयसिंहसूरि I अभयदेवसूरि
1
हेमचन्द्रसूरि
१२८५
|
लक्ष्मणगणि
(वि० सं० १९४४ / ई० सन् ११४३ में सुपासनाहचरिय
के रचनाकार)
संग्रहणीवृत्ति
यह मलधारी श्रीचन्द्रसूरि के शिष्य देवभद्रसूरि की कृति है । इसकी प्रशस्ति' के अन्तर्गत ग्रन्थकार ने अपनी गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है :
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org