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________________ १२८४ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास आवश्यक टिप्पन, शतकविवरण, उपदेशमालावृत्ति आदि रचनायें मिलती हैं, जिनके बारे में आगे यथास्थान विवरण दिया गया है 1 धर्मोपदेशमालावृत्ति मलधारी हेमचन्द्रसूरि के शिष्य विजयसिंहसूरि ने वि० सं० १९९१ / ई० सन् ११३५ में उक्त कृति की रचना की । इसकी प्रशस्ति' में वृत्तिकार ने अपनी गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है : जयसिंहसूरि 1 अभयदेवसूरि Jain Education International | हेमचन्द्रसूरि | विजयसिंहसूरि (वि० सं० १९९१ ई० /सन् ११३५ में धर्मोपदेशमाला वृत्ति के रचनाकार मुनिसुव्रतचरित यह प्राकृतभाषा में इस तीर्थङ्कर के जीवन पर लिखी गयी एकमात्र कृति है जो मलधारी गच्छ के प्रसिद्ध आचार्य श्रीचन्द्रसूरि द्वारा वि० सं० ११९३/ई० सन् ११३७ में रची गयी है । इसकी प्रथमादर्श प्रति आचार्य के गुरुभ्राता विबुधचन्द्रसूरि द्वारा लिखी गयी । ग्रन्थ की प्रशस्ति में ग्रन्थकार ने अपनी गुरु- परम्परा के साथ अपने गुरुभ्राता के इस सहयोग का भी उल्लेख किया है : जयसिंहसूर अभयदेवसूरि For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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