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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
का उल्लेख नहीं मिलता, किन्तु, सम्भवतः उक्त प्रतिमाओं के निर्माता भी वर्धमानाचार्य के
श्रावकशिष्य रहे होंगे। जिनेश्वराचार्य वि० सं० ११७४ / ई० सन्
१११८ प्रतिमालेख [वि० सं० १९८२ / ई० सन् ११२६, वि० सं० ११९४ /ई० सन् वि० सं० १२०८ /ई०सन् ११५२ एवं वि० सं० १२१२। ई० सन् ११५६ में इनके उपदेश से इनके श्रावक शिष्योंने जिनप्रतिमायें
बनवायी] वर्धमानचार्य वि० सं० १२२६/ई० सन् ११७०
एवं वि० सं० १२५१ /ई० सन् ११९५ में इनके उपदेश से इनके श्रावकशिष्यों ने
जिनप्रतिमायें निर्मित करायीं जिनेश्वराचार्य वि० सं० १२५५/ई० सन् ११९९
में इनके श्रावक शिष्य ने इनके उपदेश से जिनप्रतिमा निर्मित करायी। वि० सं० १२५८/ई० सन् १२०२ के प्रतिमालेख में यद्यपि किसी आचार्य का नाम
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