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________________ १२७६ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास १. संवत् १२५१ आषाढ़ सुदि ९ रवौ श्रीसरवालगच्छे श्रीवर्धमानाचार्य संताने श्रे० पुनहइ सुत जसपाल तत्सुत श्रे० आमकुमार माणिकाभ्यां २. पुत्र लुणिगवरदेव तथा आस्वसिरि अभयसिरिप्रभृति स्वकुटुंबमानुषोपेताभ्यां श्रीशांतिनाथप्रतिमा कारापिता ॥ सरवालगच्छ से सम्बद्ध एक लेख वि० सं० १२५५/ई० सन् ११९९ का भी है । यह लेख एक चौबीसी जिनप्रतिमा पर उत्कीर्ण है, जो आज चन्द्रप्रभजिनालय, जैसलमेर में है । १३ इस लेख में सरवालगच्छीय जिनेश्वराचार्य के श्रावकशिष्य द्वारा प्रतिमा बनवाने की बात कही गयी है । लेख का पाठ इस प्रकर है । सं० १२५५ मार्ग सुदि १५ रवौ श्रीसरवालगच्छे श्रीजिनेश्वराभय संताने व्य० साढदेव भार्या अवियदेवि श्रेयोर्थं सुत वीमकेन प्रतिमा कारिता || इस गच्छ का उल्लेख करने वाला एक लेख वि० सं० १२५८ / ई० सन् १२०२ का भी है, जो धातु एक पंचतीर्थी प्रतिमा पर उत्कीर्ण है। इस लेख में सरवालगच्छ के किसी आचार्य या मुनि का उल्लेख नहीं मिलता, केवल प्रतिमा बनवाने वाले श्रावक का ही नाम मिलता है। मुनि विशालविजय' ने इस लेख की वाचना की है, इस प्रकार है : .१४ सं० १२५८ माघ वदि १० श्रीसरवालगच्छे वासुअलेनजि (जन) नी माढा श्रेयार्थं प्री (प्र) तमां (मा) कारिता । सरवालगच्छ का उल्लेख करने वाला अंतिम लेख वि० सं० १२८६ / ई० सन् १२३० का है जो पार्श्वनाथ की धातु प्रतिमा पर उत्कीर्ण है । इस लेख में सरवालगच्छीय वर्धमानसूरि के शिष्य जिनेश्वरसूरि द्वारा पार्श्वनाथ की प्रतिमा प्रतिष्ठापित करने का उल्लेख है । मुनि कान्तिसागर " ने इस लेख की वाचना इस प्रकार दी है : 1 संवत् १२८६ ( वर्षे) वै० सुद ५ शुक श्री सरपुनवास्तवव्य: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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