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________________ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास . १२८ वि० सं० १५६० ज्येष्ठ वदि ८ बुधवार विमलनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान पार्श्वनाथ देरासर, नाडोल, १२९ वि० सं० १५६७ ( तिथि विहीन) १२६२ - विमलवसही की दीवाल पर उत्कीर्ण लेख - १३० वि० सं० १५८१ पौष सुदि ५ शुक्रवार अजितनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख सं० १५८१ वर्ष पौष सुदि ५ शुक्र दिने उ० शीसोद्या गौत्र गोत्रजा वायण सा० पद्मा भा० चांगू पु० दासा भा. करमा पु० कमा अषाई लावेता पातिः स्वश्रेयसे श्री अजितनाथ बिंबं का प्र. श्री संडेर गच्छे कवि श्री ईश्वरसूरिभिः ॥ श्री ॥ श्री चित्रकूटदुर्गे । वि० सं० १५९७ वैशाख सुदि ६ शुक्रवार १३१ आदिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान जैन मंदिर, नाडुलाई १३३ ईश्वरसूरि (पंचम) ने अपने गुरु द्वारा प्रारम्भ किये गये साहित्यसर्जन की परम्परा को जीवन्त बनाये रखा । इनके द्वारा रचित ललिताङ्गचरित्र (रचनाकाल वि० सं० १५६१) १३२, श्रीपालचौपाई (रचनाकाल वि० सं० १५६४) एवं सुमित्रचरित्र ( रचनाकाल वि० सं० १५८१) आदि १३४ ३ रचनायें वर्तमान में उपलब्ध हैं । सुमित्रचरित्र से ज्ञात होता है कि उन्होंने जीवविचारविवरण; षट् भाषास्तोत्र ( सटीक ); नन्दिसेणमुनिगीत; यशोभद्रसूरिप्रबन्ध; मेदपाटस्तवन आदि की भी रचना की थी । ये रचनायें आज अनुपलब्ध हैं। १३५ Jain Education International - वि० सं० १५९७ में ईश्वरसूरि (चतुर्थ) के पश्चात् वि० सं० १६५० में शान्तिसूरि के शिष्यों नयकुञ्जर और हंसराज द्वारा धर्मघोषगच्छीय राजवल्लभ पाठक द्वारा रचित भोजचरित्र १३६ की प्रतिलिपि तैयार करने का उल्लेख For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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