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संडेरगच्छ
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यशोभद्रसूरि के तृतीय संतानीय एवं शान्तिसूरि ( प्रथम ) द्वारा प्रतिष्ठापित प्रतिमाओं पर वि० सं० १२४५ से वि.सं. १२९८ तक के लेख उत्कीर्ण हैं। नाडोल के चाहमान नरेश का मन्त्री और महामात्य वस्तुपाल का अनन्य मित्र यशोवीर इन्हीं शान्तिसूरि का शिष्य था । यशोवीर ने आबू स्थित विमलवसही में जो देवकुलिकायें निर्मित करायीं, उनमें प्रतिमा प्रतिष्ठापन का कार्य शान्तिसूरि ने ही सम्पन्न किया था । इसी कालावधि वि० सं० १२४५ - १२९८ के मध्य वि० सं० १२६६ एवं वि० सं० १२६९ में प्रतिष्ठापित कुछ प्रतिमायें जो संडेरगच्छ से सम्बन्धित हैं, में प्रतिमा प्रतिष्ठापक आचार्य का उल्लेख नहीं मिलता, तथापि ऐसा अनुमान किया जा सकता है कि उक्त प्रतिमायें भी शान्तिसूरि ने ही प्रतिष्ठापित की होगीं । शान्तिसूरि ( प्रथम ) द्वारा प्रतिष्ठापित प्रतिमालेखों का विवरण इस प्रकार है
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शांतिसूरि ( प्रथम ) द्वारा प्रतिष्ठापित प्रतिमालेखों का विवरण
वि० सं० १९२४५ ( तिथि विहीन लेख ) २७
मंत्री यशोवीर द्वारा नेमिनाथ की प्रतिमा को देवकुलिका में स्थापित करने का इस लेख में विवरण दिया गया है ।
प्रतिष्ठा स्थान - देहरी संख्या ४५, विमलवसही (आबू)
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वि० सं० १२६९ माघ ३ शनिवार
प्रतिष्ठा स्थान जैन मन्दिर, अजारी
भगवान् चन्द्रप्रभ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख वि० सं० १२७४ वैशाख सुदि ३
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प्रतिष्ठा स्थान - जैन मन्दिर, डभोई
वि० सं० १२९१ (तिथि विहीन लेख )
मंत्री यशोवीर द्वारा पद्मप्रभ की प्रतिमा को देवकुलिका में स्थापित कराने का विवरण प्रतिष्ठा स्थान लूणवसही - आबू (देहरी संख्या ४१ )
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