SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 578
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२४६ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वि० सं० १२३६ ज्येष्ठ सुदि १३ शनिवार २२ वि० सं० १२३७, १२५१ एवं १२५२ के प्रतिमा लेखों में प्रतिष्ठापक आचार्य के रूप में यशोभद्रसूरि के सन्तानीय एवं शालिसूरि के पट्टधर सुमतिसूरि (प्रथम) का नाम आता है। इनका विवरण इस प्रकार है वि० सं० १२३७ फाल्गुन सुदि १२ मंगलवार२३ परिकर के नीचे का लेख प्रतिष्ठापक आचार्य - सुमतिसूरि; प्रतिष्ठास्थल-बड़ा जैन मन्दिर, नाडोल वि० सं० १२५१ ज्येष्ठ सुदि ९ शुक्रवार२४ आदिनाथ की परिकर युक्त प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख प्रतिष्ठा स्थान - जैन मन्दिर, बोया, मारवाड़ वि० सं० १२५२ माघ वदि ५ रविवार२५ । शान्तिनाथ और कुन्थुनाथ की प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण लेख वर्तमान प्रतिष्ठा स्थान - सोमचिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय, खंभात जैसलमेर ग्रन्थ भण्डार२६ में बोधकाचार्य के शिष्य सुमतिसूरि द्वारा वि० सं० १२२० में रचित दशवैकालिकटीका उपलब्ध है। बोधकाचार्य और उनके शिष्य सुमतिसूरि किस गच्छ के थे, यह ज्ञात नहीं होता है। जैसा कि पहले देख चुके हैं, सन्डेरगच्छीय शालिसूरि (प्रथम) द्वारा प्रतिष्ठापित जिन प्रतिमाओं पर वि० सं० ११८१ से वि० सं० १२१५ तक के लेख उत्कीर्ण हैं । इनके शिष्य सुमतिसूरि (प्रथम) द्वारा प्रतिष्ठापित प्रतिमाओं पर वि० सं० १२३६ से १२५२ तक के लेख उत्कीर्ण हैं । इस प्रकार स्पष्ट है कि वि० सं० १२१५ के पश्चात् ही सुमतिसूरि अपने गुरु के पट्ट पर आसीन हुए। ऐसी स्थिति में वि० सं० १२२० में दशवैकालिकटीका के रचनाकार सुमतिसूरि को संडेरगच्छीय सुमतिसूरि से अभिन्न मानने में कोई बाधा नहीं प्रतीत होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy