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________________ १२२२ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास सन् १२२१ माना गया है४४ अतः बालभारत का रचनाकाल वि० सं० १२७७ से वि० सं० १२९४ के बीच माना जा सकता है । पद्मानन्दमहाकाव्य का प्रथम सर्ग प्रस्तावना के रूप में है । दूसरे से छठ्ठे सर्ग तक आदिनाथ के पूर्वभवों का विवरण है, सातवें में जन्म, आठवें में बाल्यकाल, यौवन, विवाह, नवें में सन्तानोत्पत्ति, दशम में राज्याभिषेक, ११ वें और १२वें में कैवल्यप्राप्ति, १४वें में समवशरण - देशना आदि, सोलहवें, सत्रहवें और अठारहवें में भरत - बाहुबलि और मरीच के वृत्तान्त के साथ अन्त में ऋषभदेव एवं भरत के निर्वाण का वर्णन है और यहीं पर कथा समाप्त हो जाती है । १९ वें सर्ग में कवि ने प्रशस्ति के रूप में अपनी विस्तृत गुरु- परम्परा, काव्यरचना का उद्देश्य, मंत्री पद्म की वंशावली आदि का वर्णन किया है । कवि अमरचन्द्रसूरि ने अपनी इस कृति में भी इसके रचनाकाल का उल्लेख नहीं किया है। चूँकि यह वीसलदेव के शासनकाल में रची गयी है और इसकी वि० सं० १२९७ में लिखी गयी एक प्रति खंभात के शांतिनाथ जैन भंडार में संरक्षित है अतः यह उक्ततिथि के पूर्व ही रचा गया होगा । इस आधार पर पद्मानन्दमहाकाव्य वि० सं० १२९४ से वि० सं० १२९७ के मध्य की कृति मानी जाती है ४५ 1 1 अमरचन्द्रसूरि ने चतुर्विंशतिजिनेन्द्रसंक्षिप्तचरितानि नामक अपनी कृति में चौबीस तीर्थंकरों का संक्षिप्त जीवनपरिचय प्रस्तुत किया है४६ इसमें २४ अध्याय और १८०२ श्लोक हैं । इनके द्वारा रचित अन्य कृतियाँ भी हैं जो इस प्रकार हैं : काव्यकल्पलता, काव्यकल्पलतावृत्ति अपरनाम कविशिक्षा, सुकृतसंकीर्तन के प्रत्येक सर्ग के अंतिम ४ श्लोक, स्यादिशब्दसमुच्चय, काव्यकल्पलतापरिमल छन्दोरत्नावली, अलंकारप्रबोध; कलाकलाप, काव्यकल्पलतामंजरी और सूक्तावली । इनमें से अंतिम चार ग्रन्थ अनुपलब्ध हैं | प्रथम पाँच प्रकाशित हो चुके हैं तथा बीच के दो ग्रन्थ काव्यलतापरिमल और छन्दोरत्नावली अभी अप्रकाशित हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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