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वायडगच्छ
१२२१ शकुनशास्त्र नौ प्रस्तावों में विभक्त पद्यात्मककृति है। इसमें संतान के जन्म,लग्न और शयन सम्बन्धी शकुन, प्रभात में उठने के समय के शकुन, दातून करने एवं स्नान करने के समय के शकुन, परदेश जाने एवं नगर में प्रवेश करने के समय के शकुन आदि अनेक शकुन और उनके शुभाशुभ फल आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया है। अमरचन्द्रसूरि : ___ वायडगच्छीय जिनदत्तसूरि के शिष्य और वाघेलानरेश वीसलदेव (वि० सं० १२९४-१३२८) और उनके मंत्री वस्तुपाल-तेजपाल द्वारा सम्मानित अमरचन्द्रसूरि उस युग के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों में से थे। जैन श्रमण की दीक्षा लेने से पूर्व ये वायटीय ब्राह्मण थे। इन्होंने स्वरचित बालभारत, पद्मानन्दमहाकाव्य काव्यकल्पलता, स्यादिशब्दसमुच्चय आदि में अपने सम्बन्ध में कुछ जानकारी दी है। इसके अतिरिक्त परवर्ती ग्रन्थकारों ने अपनी कृतियों यथा अरिसिंह द्वारा रचित सुकृतसंकीर्तन, मेरुतुंगसूरि द्वारा रचित प्रबन्धचिन्तामणि, राजशेखरसूरि द्वारा प्रणीत चतुर्विंशतिप्रबन्ध, रत्नमंदिरगणि द्वारा रचित उपदेशतरंगिणी, नयचन्द्रसूरि द्वारा रचित हम्मीरमहाकाव्य (रचनाकाल वि० सं० १४४४ के आसपास) आदि से भी इनके जीवन पर कुछ प्रकाश पडता है२ । वायड निवासी ब्राह्मणों के अनुरोध पर इन्होंने महाभारत पर पूर्वरूपेण आधारित बालभारत नामक कृति की रचना की । मूल महाभारत की भाति यह भी १८ पर्यों में विभाजित है। ये पर्व एक या अधिक सर्गों में विभाजित हैं। इनकी कुल संख्या ४४ है । सम्पूर्ण ग्रन्थ में ६९५० श्लोक हैं । बालभारत के रचनाकाल के सम्बन्ध में रचनाकार ने कोई उल्लेख नहीं किया है । इस सम्बन्ध में चतुर्विंशतिप्रबन्ध से विशेष जानकारी प्राप्त होती है। उसके अनुसारी वीसलदेव के सम्पर्क में आने से पूर्व ही इन्होंने बालभारत की रचना की थी। चूकि वीसलदेव का शासनकाल (वि० सं० १२९४-१३२८ । ई० सन् १२३८-१२७२) निश्चित है और और अमरचन्द्रसूरि के गुरु जिनदत्तसूरि की कृति विवेकविलास का रचनाकाल वि० सं० १२७७/ ई०
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