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राजगच्छ
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वर्धमानसूरि
देवसूरि
चन्द्रप्रभसूरि
भद्रेश्वरसूरि
अजितसिंहसूरि (द्वितीय)
देवप्रभसूरि
सिद्धसेनसूरि [वि० सं० १२७८ / ई० सन् १२२२ में प्रवचनसारोद्धार पर टीका के
रचनाकार] श्रेयांसचरित - राजगच्छीय आचार्य शीलभद्रसूरि के शिष्य सर्वदेवसूरि की परम्परा में मानतुंगसूरि हुए, जिन्होंने वि० सं० १३३२ /ई० सन् १२७६ में संस्कृत भाषा में श्रेयांसचरित की रचना की । इसकी प्रशस्ति में उन्होंने अपनी गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है :
शीलभद्रसूरि
सर्वदेवसूरि
चन्द्रप्रभसूरि
जिनेश्वरसूरि
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