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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है :
धनेश्वरसूरि (प्रथम)
अजितसिंहसूरि (प्रथम) (विश्रान्तविद्याधर के रचनाकार)
वर्धमानसूरि
शीलभद्रसूरि
अजितसिंहसूरि (द्वितीय) धनेश्वरसूरि (द्वितीय)
(वि० सं० ११७१ / ई० सन् १११५ में सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरणवृत्ति
के रचनाकार)
पार्श्वदेवगणि प्रवचनसारोद्धारटीका - राजगच्छ के देवप्रभसूरि के शिष्य एवं पट्टधर सिद्धसेनसूरि ने वि० सं० १२७८/ई० सन् १२२२ में प्रवचनसारोद्धार पर टीका की रचना की । इसकी प्रशस्ति में उन्होंने अपनी गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है :
अभयदेवसूरि
धनेश्वरसूरि
अजितसिंहसूरि (प्रथम)
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