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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास स्वयं को विभिन्न स्तुतियों - स्तोत्रों का भी रचयिता बतलाया है फिर भी उनमें से मात्र एक स्तोत्र सकलतीर्थस्तोत्र - को छोड़कर अन्य कृतियां आज नहीं मिलती।
इस गच्छ से सम्बद्ध द्वितीय और अंतिम साक्ष्य है वि० सं० १२१४ का एक लेख जो महावीर मुछाला चैत्य में एक पवासणा पर उत्कीर्ण है। इस अभिलेख में इस गच्छ के प्रीतिसूरि का नाम मिलता है। इसके बारे में कोई अन्य सूचना प्राप्त नहीं होती।
उक्त साक्ष्यों से इस गच्छ के मुनिजनों का जो क्रम निश्चित होता है, वह निम्नानुसार है :
कोटिकगण, वज्रशाखा
और चन्द्रकुल
बप्पभट्टिसूरि [गोपगिरि नरेश आम (नागभट्ट 'द्वितीय') के समकालीन]
यशोभद्रसूरि
शांतिसूरि
यशोदेवसूरि
साधारणकवि अपरनाम सिद्धसेनसूरि
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