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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास ४. अगरचन्द नाहटा - "मडाहडागच्छ" जैनसत्यप्रकाश, वर्ष २१, अंक ३, पृ० ४७
४८. 4. R.C. Majumbdar and A.D. Pusalkar, The Delhi Sultanate, Bombay
1960 A.D., pp 331, 834. अगरचन्द भंवरलाल नाहटा - "मड्डाहडगच्छ की परम्परा" जैनसत्यप्रकाश, वर्ष २०, अंक ५, पृ० ९५-९८. चक्रेश्वरसूरि बृहद्गच्छ के प्रभावक आचार्य थे, उनके द्वारा वि० सं० ११८७ से वि० सं० १२०८ तक प्रतिष्ठापित कई जिनप्रतिमायें उपलब्ध हुई हैं, ग्रन्थप्रशस्तियों में भी इनका उल्लेख प्राप्त होता है। मोहनलालदलीचन्द देसाई, जैनसाहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ० २८०. मुनि चतुरविजय - संपादक - लींबडीस्थ हस्तलिखित जैन ज्ञान भण्डार सूचीपत्रम् आगमोदयसमिति, ग्रन्थांक ५८, बम्बई १९२८ ईस्वी, क्रमांक ५०१. वही, क्रमांक ५७१. Vidhatri Vora - Catalogue of Gujarati Manuscripts : Muniraja Sri Punyavijayaji's Collection, L.D. Series 71, Ahmedabad 1978,
pp. 563. ११. मोहनलाल दलीचन्द देसाई - जैन गूर्जर कविओ, भाग १, नवीन संस्करण,
संपादक डॉ० जयन्त कोठारी, मुम्बई १९८६ ईस्वी, पृ० २२४-२२५. १२. वही, भाग २, पृ० १७५-१७७. १३. प्राचीनलेखसंग्रह, लेखांक ४९. १४. जैनलेखसंग्रह, भाग ३, लेखांक २१७८. १५. जैनलेखसंग्रह, भाग २, लेखांक ११३० १६. बीकानेरजैनलेखसंग्रह, लेखांक १६३०.
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