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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
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धर्मघोषसूरि
सोमदेवसूरि
T धनचन्द्रसूरि
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धर्मचन्द्रसूरि
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[वि० सं० १४८० - १५१०]
छह प्रतिमालेख
[वि० सं० १५३४ - १५४५ ] चार प्रतिमालेख
इस शाखा के प्रवर्तक कौन थे, यह शाखा कब अस्तित्व में आयी, इस बारे में प्रमाणों के अभाव में कुछ भी कह पाना कठिन है । अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर वि० सं० की १५वीं शताब्दी के मध्य से वि० सं० की १६वीं शताब्दी के मध्य तक इस शाखा का अस्तित्व सिद्ध होता है।
T कमलचन्द्रसूरि
[वि० सं० १३ (४) ५०]
[वि० सं० १३ ( ४ ) ५०] एक
प्रतिमालेख
[वि० सं० १४६३] एक
प्रतिमालेख
जाखड़ियाशाखा मडाहडागच्छ की इस शाखा का उल्लेख करने वाले ५ प्रतिमालेख प्राप्त होते हैं । इनमें कमलचन्द्रसूरि, आनन्दमेरु तथा गुणचन्द्रसूरि का नाम मिलता है । इनका विवरण इस प्रकार है : कमलचन्द्रसूरि
वि० सं० १५३५
माघ वदि ६,
मंगलवार
वि० सं० १५४७ ज्येष्ठ सुदि २,
मंगलवार
अर्बुदप्राचीन- लेखांक ६५५ जैनलेखसंदोह
बीकानेरजैन- लेखांक १११२ लेखसंग्रह
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