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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास सं० १३५० वर्षे माह वदि ९ सोमे... कानेन भ्रातृरा.... निमित्तं श्रीपार्श्वनाथबिंबं का० प्र० महडाहडागच्छे रत्नपुरीय श्री धर्मघोषसूरिपट्टे श्रीसोमदेवसूरिभिः ।
वर्तमान में यह प्रतिमा आदिनाथ जिनालय, पूना में है ।
सोमदेवसूरि के पट्टधर धनचन्द्रसूरि- इनके द्वारा प्रतिष्ठापित पार्श्वनाथ की धातु की एक पंचतीर्थी प्रतिमा प्राप्त हुई है। इस पर वि० सं० १४६३ का लेख उत्कीर्ण है। श्री पूरनचंद नाहर ने इसकी वाचना दी है, जो निम्नानुसार है :
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सं० १४६३ वर्षे आषाढ़ सुदि १० बुधे प्रा०ज्ञा०व्य०हेमा० भा० हीरादे पु० अजाकेन श्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं मडाहडागच्छे श्री सोमदेवसूरिपट्टे श्रीधनचन्द्रसूरिभिः ।
धनचन्द्रसूरि के पट्टधर धर्मचन्द्रसूरि - इनके द्वारा प्रतिष्ठापित ६ प्रतिमायें मिलती हैं। इनका विवरण निम्नानुसार है :
प्राचीनलेख लेखांक १२४
संग्रह
वि० सं० १४८० फाल्गुन सुदि १०, फाल्गुन सुदि १०,
बुधवार
वि० सं० १४८५ वैशाख सुदि ३
वि० सं० १४९३
माघ सुदि २,
बुधवार
वि० सं० १५०१ ज्येष्ठ सुदि १०,
रविवार
वि० सं० १५०७ फाल्गुन वदि ३,
बीकानेरजैन- लेखांक ९२०
बुधवार
लेखसंग्रह
वि० सं० १५१० मार्ग ? सुदि १०, प्राचीनलेख- लेखांक २५६
रविवार
संग्रह
प्रतिष्ठालेख - लेखांक २५३
संग्रह, भाग १
बीकानेरजैन- लेखांक ७६८
लेखसंग्रह
प्रतिष्ठालेख - भाग १ लेखांक ३३९
संग्रह,
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