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ब्रह्माणगच्छ
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मुनितिलकसूरि (वि० सं० १५०१/ई०स०
१४४५ में नाडलाई स्थित पार्श्वनाथ जिनालय
में प्रतिमा प्रतिष्ठापक) ब्रह्माणगच्छीय अभिलेखीय साक्ष्यों में उल्लिखित इस गच्छ के अनेक मुनिजनों में कुछ को छोड़कर अन्य मुनियों के पूर्वापर सम्बन्धों एवं उपलब्धियों के बारे में किन्ही भी साक्ष्यों से किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं मिलती । इन मुनिजनों की नामावली एवं तिथि इस प्रकार
है:
यशोभद्रसूरि (वि० सं० ११२४ / ई० स० १०६८) देवाचार्य (वि० सं० ११४४ / ई० स० १०८८) आम्रदेवसूरि (वि० सं० ११६८ / ई० स० १११२) शालिभद्रसूरि (वि० सं० ११७० / ई० स० १११४) महेन्द्रसूरि (वि० सं० १२३४ / ई० स० ११७८) जयप्रभसूरि (वि० सं० १२६१ / ई० स० १२०५) देवसूरि के प्रशिष्य माणिक्यसूरि (वि० सं० १२९५ / ई० स० १२३९) जज्जगसूरि के शिष्य वयरसेण उपाध्याय (वि० सं० १३२०-१३३० /
ई०स० १२६४-१२७४) श्रीधरसूरि (वि० सं० १३४१ / ई० स० १२८५) भद्रेश्वरसूरि (वि० सं० १३७० / ई० स० १३१४) गुणाकरसूरि (वि० सं० १३८९ / ई० स० १३२३)
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