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ब्रह्माणगच्छ
१०४७ आधार पर इसका रचनाकाल वि० सं० की १६वीं शती माना जा सकता है। प्रशस्ति में उल्लिखित गुर्वावली इस प्रकार है -
बुद्धिसागरसूरि
विमलसूरि
गुणमाणिक्य
भावकवि (अंबडरास और
हरिश्चन्द्ररास के रचनाकार) बालावसही, शत्रुजय में प्रतिष्ठापित धर्मनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण वि० सं० १५७६ के लेख में प्रतिमाप्रतिष्ठापक के रूप में विमलसूरि का नाम मिलता है जिन्हें समसामयिकता, नामसाम्य आदि के आधार पर उक्त दोनों प्रशस्तियों में उल्लिखित विमलसूरि से अभिन्न मानने में कोई बाधा दिखाई नहीं देती।
उक्त दोनों प्रशस्तियों के आधार पर विमलसूरि की शिष्य परम्परा की एक छोटी तालिका बनायी जा सकती है, जो इस प्रकार है :
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