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पूर्णिमागच्छ - भीमपल्लीयाशाखा
१०४१ अस्वाभाविक नहीं प्रतीत होता और संभवतः यही कारण है कि उक्त ग्रन्थकारों ने अपनी कृतियों की प्रशस्ति में अपना परिचय पूर्णिमागच्छ की भीमपल्लीयाशाखा के मुनि के रूप में नहीं अपितु पूर्णिमागच्छ के मुनि के रूप में ही दिया है। विभिन्न गच्छों के इतिहास में इस प्रकार के अनेक उदाहरण देखे जा सकते हैं।
__ प्रतिमालेखों और ग्रन्थप्रशस्तियों के आधार पर पूर्णिमापक्षभीमपल्लीयाशाखा के मुनिजनों की गुरु-परम्परा की एक तालिका निर्मित होती है, जो इस प्रकार है :
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