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________________ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास साहित्यिक और अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित पूर्णिमापक्ष - भीमपल्लीयाशाखा के मुनिजनों का विद्यावंशवृक्ष १०४२ ? चन्द्रप्रभसूरि [ पूर्णिमागच्छ के प्रवर्तक ] धर्मघोषसूरि [ चौलुक्यनरेश जयसिंह सिद्धराज सुमतिभद्रसूरि देवचन्द्रसूरि T पासचन्द्र [पार्श्वचन्द्रसूरि] [वि० सं० १४५९ - १४६१] प्रतिमालेख जयचन्द्रसूरि भावचन्द्रसूरि [वि० सं० १५३५ शांतिनाथचरित के कर्ता] ( ई० सन् १०९४ - ११४२) द्वारा सम्मानित ] जयराजसूरि [वि० सं० १५५३ में मत्स्योदररास के कर्ता ] Jain Education International [वि० सं० १५०४ में लिपिबद्ध पार्श्वनाथचरित में उल्लिखित ] चारित्रचन्द्रसूरि [वि० सं० १५३६ ] प्रतिमालेख मुनिचन्द्रसूरि उदयरत्नसूरि [वि० सं० १५४७ ] प्रतिमालेख [वि० सं० १५५३ - १६९१] प्रतिमालेख विद्यारत्नसूरि [वि० सं० १५७७ में कूर्मापुत्रचरित्र के कर्ता] विनयचन्द्रसूरि [वि० सं० १५९८ ] प्रतिमालेख For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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