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________________ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास पार्श्वनाथचरित की वि० सं० १५०४ में प्रतिलिपि की गयी एक प्रति की दाताप्रशस्ति में भीमपल्लीयाशाखा के पासचन्द्रसूरि [ पार्श्वचन्द्रसूरि ] के शिष्य जयचन्द्रसूरि का उल्लेख है।' इस प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि एक श्रावक परिवार ने अपने माता-पिता के श्रेयार्थ उक्त ग्रन्थ की एक प्रति जयचन्द्रसूरि को प्रदान की । जयचन्द्रसूरि की प्रेरणा से वि० सं० १४८२ / ई० सन् १४२६ से वि० सं० १५२६ / ई० सन् १४६१ के मध्य प्रतिष्ठापित ३९ जिनप्रतिमायें आज मिलती हैं, जिनका अभिलेखीय साक्ष्यों के अन्तर्गत उल्लेख आ चुका है । पूर्णिमागच्छीय किन्हीं भावचन्द्रसूरि ने स्वरचित शांतिनाथचरित' [ रचनाकाल वि० सं० १५३५ / ई० सन् १४७९] की प्रशस्ति में अपने गुरु का नाम जयचन्द्रसूरि बतलाया है, जिन्हें इस गच्छ की भीमपल्लीयाशाखा के पूर्वोक्त जयचन्द्रसूरि से समसामयिकता, गच्छ, नामसाम्य आदि के आधार पर एक ही व्यक्ति माना जा सकता है। ठीक इसी प्रकार इसी शाखा के भावचन्द्रसूरि [वि० सं० १५३६ के प्रतिमालेख में उल्लिखित ] और शांतिनाथचरित के रचनाकार पूर्वोक्त भावचन्द्रसूरि को एक दूसरे से अभिन्न माना जा सकता है I १०४० 1 पूर्णिमागच्छीय किन्हीं जयराजसूरि ने स्वरचित मत्स्योदररास [ रचनाकाल वि० सं० १५५३ / ई० सन् १४९७] की प्रशस्ति में और इसी गच्छ के विद्यारत्नसूरि ने वि० सं० १५७७ / ई० सन् १५२० में रचित कूर्मापुत्रचरित' की प्रशस्ति में मुनिचन्द्रसूरि का अपने गुरु के रूप में उल्लेख किया है । पूर्णिमागच्छ से सम्बद्ध बड़ी संख्या में प्राप्त अभिलेखीय साक्ष्यों में तो नहीं किन्तु भीमपल्लीयाशाखा से सम्बद्ध वि० सं० १५५३१५९१ के प्रतिमालेखों में मुनिचन्द्रसूरि का उल्लेख मिलता है । अत: समसामयिकता और गच्छ की समानता को देखते हुए उन्हें एक ही व्यक्ति मानने में कोई बाधा नहीं है। चूंकि पूर्णिमागच्छ की एक शाखा के रूप में ही भीमपल्लीयाशाखा का जन्म और विकास हुआ, अतः इस शाखा के किन्हीं मुनिजनों द्वारा कहीं कहीं अपने मूलगच्छ का ही उल्लेख करना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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