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________________ पूर्णिमागच्छ – भीमपल्लीयाशाखा - १०३९ उक्त प्रतिमालेखीय साक्ष्यों द्वारा यद्यपि पूर्णिमागच्छ की भीमपल्लीया शाखा के विभिन्न मुनिजनों के नाम ज्ञात होते हैं किन्तु उनमें से मात्र ८ मुनिजनों के पूर्वापर सम्बन्ध ही स्थापित हो सके हैं, जो इस प्रकार है : ? ' देवचन्द्रसूरि | पार्श्वचन्द्रसूरि [वि० सं० १४५९ - १४६१] २ प्रतिमालेख T जयचन्द्रसूरि [वि० सं० १४८२ - १५२७] ३९ प्रतिमालेख I जयरत्नसूर [वि० सं० १५४७] १ प्रतिमालेख ? भावचन्द्रसूरि I चारित्रचन्द्रसूरि [वि० सं० १५३६ ] १ प्रतिमालेख | मुनिचन्द्रसूरि [वि० सं० १५५३ - १५९१] ९ प्रतिमालेख विनयचन्द्रसूरि [वि० सं० १५९८ ] १ प्रतिमालेख अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर निर्मित पूर्णिमापक्ष - भीमपल्लीयाशाखा की उक्त छोटी-छोटी दो अलग-अलग गुर्वावलियों का उक्त आधार पर परस्पर समायोजन सम्भव नहीं हो सका, अतः इसके लिये पूर्णिमापक्षीय साहित्यिक साक्ष्यों पर भी दृष्टिपात करना अपरिहार्य है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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