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सार्धपूर्णिमागच्छ
१०२१ सन्दर्भसूची: १. षट्व्यर्केषु (१२३६) च सार्धपूर्णिम... ।
मुनि जिनविजय, संपा० विविधगच्छीयपट्टावलीसंग्रह, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ५३, भारतीय विद्याभवन, बम्बई १९६१ ईस्वी, पृष्ठ २१, ३९, ६५, २०१
आदि. त्रिपुटी महाराज - जैनपरम्परानो इतिहास, भाग २, चारित्र स्मारक ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ५४, अहमदाबाद १९६० ईस्वी, पृष्ठ ५४४-५४६. संवत् १४१२ वर्षे पौष वदि १२ गुरौ अद्येह श्रीमदणहिलपट्टने श्री साधुपूर्णिमापक्षीय श्रीअभयचन्द्रसूरीणां पुस्तकं लिखितं पंडित महिमा(पा?)केन । शुभं भवतु । शांतिनाथचरित की दाता प्रशस्ति मुनि जिनविजय - संपा० जैनपुस्तकप्रशस्तिसंग्रह, सिंधी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक
१८, भारतीय विद्याभवन, बम्बई १९४४ ईस्वी, पृष्ठ १३९, प्रशस्ति क्रमांक ३१०. ४. मूल ग्रन्थ और उसकी प्रशस्ति उपलब्ध न होने से उक्त उद्धरण निम्नलिखित ग्रन्थों के
आधार पर दिया गया है : H. D. Velankar - JINARATNAKOSHA, Government Oriental Series, Class C, No. 4, B.O.R.I., Poona-1944 A.D., p. 267-268. मोहनलाल दलीचन्द देसाई - जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृष्ठ ४३७. संवत् १४५३ वर्षे फाल्गुनसुदिपूर्णिमादिने अद्येह श्रीमत्पत्तने श्रीराउतवाटके श्रीसाधुपूर्णिमापक्षीय भट्टारकश्रीअभयचन्द्रसूरि - शिष्यरामचन्द्रसूरि पठनार्थं ज्ञा(न्या)यावतारवृत्तिप्रकरणं लल(ललित)कीर्तिमुनिना लिखितं । शुभं भवतु । A. P. Shah - Ed. Catalogue of Sanskrit and Prakrit MSS : Muni Punyavijayaji's Collection, Part I, L. D. Series No. 2 Ahmedabad 1963 A.D. p. 201. No. 3494. अगरचन्द नाहटा - "विक्रमादित्य सम्बन्धी जैन साहित्य" विक्रमस्मृतिग्रन्थ, संपा० हरिहर निवास द्विवेदी तथा अन्य, उज्जैन वि० सं० २००१, पृष्ठ १४१-१४८. संवत् १५०४ वर्षे आसो सुदि १० सोमवारे साधुपूण्णिमागच्छे चन्द्रप्रभसूरिसंताने भ० श्रीपुण्यचन्द्रसूरि-शिष्यगणिवरजयसिंहगणिना राणपुरनगरे सम्यक्त्वरत्नमहोदधिग्रन्थपुस्तकं लिखितम् ।। A. P Shah, Ibid pp. 149-151, No. 2934.
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