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सार्धपूर्णिमागच्छ
१०१७ ७. रामचन्द्रसूरि के शिष्य चन्द्रसूरि :
पद्मप्रभ की वि० सं० १५२१ में प्रतिष्ठापित प्रतिमा पर चन्द्रसूरि का नाम मिलता है। ८. पुण्यचन्द्रसूरि के पट्टधर विजयचन्द्रसूरि : ___वि० सं० १५१३, १५२२ और १५२८ में प्रतिष्ठापित ३ प्रतिमाओं पर विजयचन्द्रसूरि का नाम मिलता है। ९. विजयचन्द्रसूरि के पट्टधर उदयचन्द्रसूरि :
इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित २ प्रतिमायें मिली हैं, जो वि० सं० १५५० और १५५३ की हैं। १०. उदयचन्द्रसूरि के पट्टधर मुनिराजसूरि :
वि० सं० १५७२ में प्रतिष्ठापित श्रेयांसनाथ की धातुप्रतिमा पर इनका नाम मिलता है। ११. उदयचन्द्रसूरि के पट्टधर मुनिचन्द्रसूरि :
वि० सं० १५७५ और १५७९ में प्रतिष्ठापित २ जिनप्रतिमाओं पर इनका नाम मिलता है। १२. मुनिचन्द्रसूरि के पट्टधर विद्याचन्द्रसूरि :
इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित ३ जिनप्रतिमाओं का उल्लेख पीछे आ चुका है, ये वि० सं० १५९६, १६१० और १६२४ की हैं।
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