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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास वि० सं० १५३४ आषाढ़ सुदि १ वही, लेखांक १४३४
गुरुवार वि० सं० १५३६ आषाढ़ सुदि ५ विनयसागर, पूर्वोक्त, भाग १,
गुरुवार लेखांक ७९६ जयप्रभसूरि के द्वितीय पट्टधर भुवनप्रभसूरि
इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित २ प्रतिमायें मिलती हैं। इनका विवरण इस प्रकार है : वि० सं० १५५१ पौष सुदि १३ नाहर, पूर्वोक्त, भाग ३,
शुक्रवार लेखांक २२०२ वि० सं० १५७२ वैशाख वदि ४ लोढ़ा, पूर्वोक्त, लेखांक १०१
रविवार कमलप्रभसूरि
इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित एक प्रतिमा प्राप्त हुई है जो संभवनाथ की है। यह प्रतिमा आदिनाथ जिनालय, थराद में है । इसका विवरण निम्नानुसार है :वि० सं० १५८२ वैशाख सुदि ३ लोढा, पूर्वोक्त, लेखांक २०७ कमलप्रभसूरि के पट्टधर पुण्यप्रभसूरि
इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित २ प्रतिमायें मिलती हैं जिनका विवरण इस प्रकार है : वि० सं० १६०८ वैशाख सुदि १३ बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, शुक्रवार
लेखांक १२४ वि० सं० १६१० फाल्गुन वदि २ मुनि विशालविजय, पूर्वोक्त,
सोमवार लेखांक ३४८ विद्याप्रभसूरि के पट्टधर ललितप्रभसूरि
इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित एक प्रतिमा मिली है, जिस पर विनो सं० १६५४ का लेख उत्कीर्ण है :
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