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पूर्णिमागच्छ ढंढेरिया शाखा
९९१ वि० सं० १५१२ माघ सुदि ५ जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, सोमवार भाग २, संपा० बुद्धिसागरसूरि
लेखांक ९६३ वि० सं० १५१९ कार्तिक वदि ५ वही, लेखांक ७४३
शुक्रवार वि० सं० १५१९ ,
प्राचीनलेखसंग्रह, संग्राहक
विजयधर्मसूरि, लेखांक ३२९ वि० सं० १५१९ माघ सुदि ५ श्रीप्रतिमालेखसंग्रह, संपा०
सोमवार दौलतसिंह लोढा, लेखांक २६१ वि० सं० १५२१ माघ पूर्णिमा बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, गुरुवार
लेखांक ५७८ वैशाख वदि ११ वही, भाग १, लेखांक १४९२
रविवार वि० सं० १५२५ माघ वदि ५ प्रतिष्ठालेखसंग्रह, भाग १, संपा०
विनयसागर, लेखांक ६६७ वि० सं० १५२८ कार्तिक सुदि १२ जैनलेखसंग्रह, भाग ३, संपा०
शुक्रवार पूरनचन्द नाहर, लेखांक २३४९ वि० सं० १५३१ फाल्गुन सुदि ८ राधनपुरप्रतिमालेखसंग्रह संपा०
सोमवार मुनि विशालविजय, लेखांक २७४ जयप्रभसूरि के पट्टधर जयभद्रसूरि
इनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठापित तीन प्रतिमायें प्राप्त हुई हैं । इनका विवरण इस प्रकार है : वि० सं० १५२५ वैशाख सुदि ३ बीकानेरजैनलेखसंग्रह, संपा० सोमवार अगरचन्द भंवरलाल नाहटा,
लेखांक १३१५
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