________________
९३८
जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
सर्वदेवसूरि
सोमप्रभसूरि
रत्नप्रभसूरि
चन्द्रसिंहसूरि
देवसिंहसूरि
पद्मतिलकसूरि
श्रीतिलकसूरि
देवचन्द्रसूरि
पद्मप्रभसूरि
देवानन्दसूरि [वि०सं० १४५५ /ई० सन्
१३९९ में क्षेत्रसमासवृत्ति
के रचनाकार श्रीपालचरित -
पूर्णिमागच्छीय गुणसमुद्रसूरि के शिष्य सत्यराजगणि द्वारा संस्कृत भाषा में रचित ५०० श्लोकों की यह कृति वि० सं० १५१४ में रची गयी है। इसकी वि० सं० १५७५ / ई० सन् १५१९ की एक प्रतिलिपि जैसलमेर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org