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पूर्णिमागच्छ
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चकेश्वरसूरि
1
त्रिदशप्रभसूरि
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धर्मप्रभसूरि
T
अभयप्रभसूरि
1
रत्नप्रभसूरि
T कमलप्रभसूरि
क्षेत्रसमासवृत्ति
यह कृति पूर्णिमागच्छीय पद्मप्रभसूरि के शिष्य देवानन्दसूरि द्वारा वि० सं० १४५५ / ई० सन् १३९९ में रची गयी है। कृति के अन्त में प्रशस्ति के अन्तर्गत रचनाकार ने अपनी लम्बी गुरु- परम्परा का उल्लेख किया है, इस प्रकार है :
चन्द्रप्रभसूरि
I धर्मघोषसूरि
भद्रेश्वरसूरि
T मुनिप्रभसूर
९३७
[वि० सं० १३७२ / ई० सन् १३१६ में पुण्डरीकचरित के रचनाकार ]
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