SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 268
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९३६ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास श्रीतिलकसूरि [वि० सं० १२६१ / ई० सन् १२०५ में प्रत्येकबुद्धचरित के रचनाकार] प्रत्येकबुद्धचरित अभी अप्रकाशित है। शान्तिनाथचरित - यह कृति पूर्णिमागच्छ के अजितप्रभसूरि द्वारा वि० सं० १३०७ में रची गयी है । जैसलमेर और पाटण के ग्रन्थ भंडारों में इसकी प्रतियां संरक्षित हैं । कृति के अन्त में ग्रन्थकार ने अपनी गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है : चन्द्रप्रभसूरि देवसूरि तिलकप्रभसूरि वीरप्रभसूरि अजितप्रभसूरि [वि० सं० १३०७ /ई० सन् १२५१ में शांतिनाथचरित के रचनाकार] पुण्डरीकचरित - पूर्णिमापक्षीय चन्द्रप्रभसूरि की परम्परा में हुए रत्नप्रभसूरि के शिष्य कमलप्रभसूरि ने वि० सं० १३७२/ ई० सन् १३१६ में उक्त कृति की रचना की । कृति के अन्त में प्रशस्ति के अर्न्तगत उन्होंने अपनी गुरु-परम्परा का इस प्रकार विवरण दिया है : चन्द्रप्रभसूरि घार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy