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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
श्रीतिलकसूरि [वि० सं० १२६१ / ई० सन्
१२०५ में प्रत्येकबुद्धचरित
के रचनाकार] प्रत्येकबुद्धचरित अभी अप्रकाशित है। शान्तिनाथचरित -
यह कृति पूर्णिमागच्छ के अजितप्रभसूरि द्वारा वि० सं० १३०७ में रची गयी है । जैसलमेर और पाटण के ग्रन्थ भंडारों में इसकी प्रतियां संरक्षित हैं । कृति के अन्त में ग्रन्थकार ने अपनी गुरु-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है :
चन्द्रप्रभसूरि
देवसूरि
तिलकप्रभसूरि
वीरप्रभसूरि
अजितप्रभसूरि [वि० सं० १३०७ /ई० सन्
१२५१ में शांतिनाथचरित
के रचनाकार] पुण्डरीकचरित -
पूर्णिमापक्षीय चन्द्रप्रभसूरि की परम्परा में हुए रत्नप्रभसूरि के शिष्य कमलप्रभसूरि ने वि० सं० १३७२/ ई० सन् १३१६ में उक्त कृति की रचना की । कृति के अन्त में प्रशस्ति के अर्न्तगत उन्होंने अपनी गुरु-परम्परा का इस प्रकार विवरण दिया है :
चन्द्रप्रभसूरि
घार
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