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________________ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास उक्त साक्ष्यों के आधार पर नागेन्द्रकुल के प्रारम्भिक आचार्यों को निम्नलिखित क्रम में रखा जा सकता है आर्य वज्र ६९४ कल्पसूत्र 'स्थविरावली' । आर्य वज्रसेन नन्दीसूत्र 'स्थविराली' Jain Education International आर्य नाइल 1 आर्य नागार्जुन | - आर्य भूतदिन्न (भूतदत्त) नाइलकुल से सम्बद्ध अगला साक्ष्य गुप्तकाल का है । पउमचरिय ( रचनाकाल प्राय: ई० सन् ४७३) के रचयिता विमलसूरि भी इसी कुल के ७ । ग्रन्थ की प्रशस्ति में उन्होंने न केवल अपने कुल बल्कि अपने गुरु और प्रगुरु का भी नामोल्लेख किया है' आर्य राहु ―― 1 आर्य विजय T विमलसूरि ( ई० सन् की प्रथम शताब्दी) (नागेन्द्र) ( ई० सन् की चौथी शताब्दी का तृतीय चरण) (प्राय: ई० सन् ४७३ में 'पउमचरिय' के रचनाकार) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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