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________________ ९१९ पूर्णतल्लगच्छ ४. प्रबन्धचिन्तामणि नागेन्द्रगच्छीय मेरुतुंगसूरि, रचना काल वि०सं० १३६१ । ई० सन् १३०५ ५. कल्पप्रदीप अपरनाम खरतरगच्छीय आचार्य जिनप्रभसूरि, विविधतीर्थकल्प रचनाकाल वि० सं० १३८९ / ई० सन् १३३३ ६. प्रबन्धकोश मलधारगच्छीय राजशेखरसूरि, रचना काल वि० सं० १४०५/ ई० सन् १३४९ ७. पुरातनप्रबन्धसंग्रह अज्ञात, रचनाकाल विक्रम सम्वत् की १५ वीं शताब्दी के आसपास ८. कुमारपालचरित्र कृष्णर्षिगच्छीय आचार्य जयसिंहसूरि, रचनाकाल वि० सं० १४२२ / ई० सन् १३६६ ९. कुमारपालप्रबन्ध तपागच्छीय जिनमण्डनगणि, रचना काल वि० सं० १४९२/ ई० सन् १४३६ प्राप्त विवरणानुसार इनका जन्म वि० सं० ११४५ / ई० सन् १०८९ में धंधूका नगरी में हुआ था। इनके पिता का नाम चाचिग और माता का नाम पाहिणी था। ये श्रीमोढ़ वणिक ज्ञाति के थे। चाचिग शैवधर्मानुयायी थे और उनकी पत्नी पाहिणी जैन धर्मानुयायी थी । साम्प्रदायिक सद्भाव का यह उच्च आदर्श आज भी जैन परम्परा में विद्यमान है। हेमचन्द्र का बचपन का नाम चांगदेव था । ८ वर्ष की आयु में स्तम्भतीर्थ (वर्तमान खंभात) में इनकी दीक्षा हुई और सोमचन्द्र नाम रखा गया । अल्पायु में ही इन्होंने अनेक शास्त्रों का अध्ययन किया और वि० सं० ११६६ / ई० सन् १११० में हेमचन्द्र के नाम से आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किये गये । जयसिंह सिद्धराज के ये सम्माननीय विद्वत् मित्र थे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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