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________________ ९१४ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास T गुणसेनसूरि I देवचन्द्रसूरि 1 हेमचन्द्रसूरि [ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित के रचनाकार ] त्रिषष्टिशलाकारपुरुषचरित का रचनाकाल वि० सं० १२१६-२८ के मध्य माना जाता है I इसी संदर्भ में एक अन्य प्रशस्ति का भी उल्लेख किया जा सकता है, वह है वि० सं० १२०६ / ईस्वी सन् १९५१ में रची गयी उत्पादसिद्धिप्रकरण की प्रशस्ति यद्यपि इसमें पूर्णतल्लगच्छ का उल्लेख नहीं है, फिर भी इसके रचनाकार चन्द्रसेन ने अपने गुरु प्रद्युम्नसूरि को सिद्धहेमगुरु का गुरुभ्राता बतलाया है, जो निश्चय ही कलिकालसर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्रसूरि से अभिन्न हैं। [देवचन्द्रसूरि ] प्रद्युम्नसूरि हेमचन्द्रसूरि | चन्द्रसेन [वि० सं० १२०७ / ईस्वी सन् १९५१ में Jain Education International उत्पादसिद्धिप्रकरणसटीक के रचनाकार ] आचार्य हेमचन्द्रसूरि के करीब ८ शिष्यों का उल्लेख मिलता है, जिनके नाम हैं रामचन्द्रसूरि, गुणचन्द्रसूरि, बालचन्द्रसूरि, देवचन्द्रसूरि, सागरचन्द्र, यशचन्द्र, महेन्द्रसूरि उदयचन्द्र और वर्धमानगणि । किन्हीं उदयचन्द्रसूरि के शिष्य देवेन्द्रसूरि का भी उल्लेख मिलता है जिन्होंने For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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