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________________ पिप्पलगच्छ २. ३. ४. ६. आचार्यान् रचयांचकार चतुरस्तंस्मात् प्रवृद्धो बभौ वंद्रोऽयं वटगच्छनाम रुचिरो जीयाद् युगानां शतीम् ॥२॥ बृहद्गच्छीय वादिदेवसूरि के शिष्य रत्नप्रभसूरि द्वारा रचित उपदेशमालाप्रकरणवृत्ति (रचनाकाल वि०सं० १२३८ / ई० सन् १९८२) की प्रशस्ति Muni Punyavijaya, Catalogue of Palm-Leaf Mss in the Shantinatha Jain Bhandar, Cambay, G. O. S. No. 149, Baroda - 1966 A.D., p.p. 284-286. उक्त प्रशस्ति में ग्रन्थकार ने बृहद्गच्छ के उत्पत्ति की तो चर्चा की है, परन्तु उक्त घटना की तिथि के सम्बन्ध में वे मौन हैं । मध्यकाल में रची गयी विभिन्न पट्टावलियों यथा तपागच्छीय मुनिसुंदरसूरि द्वारा रचित गुर्वावली (रचनाकाल वि०सं० १४६६ / ई० सन् १४०९), तपागच्छीय आचार्य हीरविजयसूरि के शिष्य धर्मसागरसूरि द्वारा रचित तपागच्छपट्टावली (रचनाकाल वि०सं० १६४८ / ई० सन् १५९२), बृहद्गच्छीय मुनिमाल द्वारा रचित बृहद्गच्छगुर्वावली (रचनाकाल वि०सं० १७५१ / ई० सन् १६१५) आदि में यह घटना वि०सं० ९९४ में हुई बतलायी गयी है किन्तु पश्चात् कालीन होने से उल्लिखित उक्त मत की प्रामाणिकता संदिग्ध मानी जा सकती है। इस सम्बन्ध में विस्तार के लिये द्रष्टव्य बृहद्गच्छ का संक्षिप्त इतिहास पं० दलसुखभाई मालवणिया अभिनन्दन ग्रन्थ, वाराणसी १९९२ ई०, पृष्ठ १०५-११७. P. Peterson Bombay 1896 A.D. pp. 125-126. - ९०९ Operation in Search of Sanskrit MSS. Vol-V, पुहवीचंदचरिय (पृथ्वीचंद्रचरित्र), सम्पा० - मुनि रमणीकविजय, प्राकृत ग्रन्थ परिषद, ग्रन्थांक १६, अहमदाबाद - वाराणसी १९७२ ई० सन्, इसी ग्रन्थ की प्रस्तावना में भी उक्त गुरु-स्तुति प्रकाशित है जिसका आधार प्रो० पीटर्सन का उक्त ग्रन्थ ही है । Jain Education International A. P. Shah - Catalogue of Sanskrit and Prakrit MSS : Muni Shree Punyavijayaji's Collection, L.D. Series No. 5, Ahmedabad 1965 A.D., No. 5479, p. 349. मोहनलाल दलीचंद देसाई - जैनगूर्जरकविओ, भाग-१, नवीन संस्करण, सम्पा० डॉ० जयन्त कोठारी, अहमदाबाद, १९८६ ई०, पृष्ठ-५२. वही वही, भाग-१, पृष्ठ १०५. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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