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पिप्पलगच्छ
रचनाकार)
पिप्पलगच्छीय हीराणंदसूरि की कई कृतियाँ मिलती हैं, जैसे
रचनाकाल वि० सं० १४८४ ।
रचनाकाल वि०सं० १४८५ ।
रचनाकाल वि०सं० १४८६ ।
रचनाकाल वि० सं० १४९४ ।
रचनाकाल अज्ञात |
स्थूलभद्रबारहमास
रचनाकाल अज्ञात ।
अपनी कृतियों की प्रशस्तियों में उन्होंने अपने को पिप्पलगच्छीय वीरदेवसूरि का प्रशिष्य और वीरप्रभसूरि का शिष्य बतलाया है '
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वस्तुपालतेजपालरास
विद्याविलासपवाडो
कलिकालरास
जम्बूस्वामीनुंविवाहलु दर्शाणभद्ररास
वीरदेवसूरि
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वीरप्रभसूर
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हीराणंदसूरि (ग्रन्थकार)
इसी गच्छ के आनन्दमेरुसूरि ने वि०सं० १५१३ / ई० सन् १४५७ में कालकसूरिभास की रचना की । इसकी प्रशस्ति में उन्होंने खुद को गुणरत्नसूरि का शिष्य बतलाया है :
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८३९
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गुणरत्नसूरि I
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