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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास आनन्दमेरु (वि०सं० १५१३/ई० सन्
१४५७ में कालकसूरिभास
के रचनाकार) कल्पसूत्रआख्यान के रचनाकार भी यही आनन्दमेरुसूरि माने जाते हैं।
पिप्पलगच्छीय नरशेखरसूरि ने वि०सं० १५८४/ई० सन् १५२८ में पार्श्वनाथपत्नीपद्मावतीहरणरास की रचना की । इसकी प्रशस्ति में उन्होंने खुद को शांति (प्रभ) सूरि का शिष्य बतलाया है :
शान्तिप्रभसूरि
नरशेखरसूरि (वि०सं० १५८४/ई० सन्
१५२८ में पार्श्वनाथपत्नीपद्मावतीहरणरास के
रचनाकार) २१ श्लोकों की अज्ञातकृतक पिप्पलगच्छगुर्वावली नामक एक रचना भी उपलब्ध हुई है। श्री भंवरलाल नाहटा ने इसे प्रकाशित किया है। इसमें उल्लिखित गुरु-परम्परा इसप्रकार है :
शांतिसूरि
विजयसिंहसूरि
देवभद्रसूरि
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