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पार्श्वचन्द्रगच्छ
हेमचन्द्रसूरि
देवचन्द्रसूरि
कनकचन्द्रसूरि
शिवचन्द्रसूरि I
भानुचन्द्रसूरि
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विवेकचन्द्रसूरि I
लब्धिचन्द्रसूरि |
हर्षचन्द्रसूरि
भ्रातृचन्द्रसूरि
मुक्तिचन्द्रसूरि
सागरचन्द्रसूरि
मुनिवृद्धिचन्द्र
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पट्टावलियों के पार्श्वचन्द्रसूरि के केवल एक शिष्य समरचन्द्र का नाम मिलता है, किन्तु ग्रन्थप्रशस्तियों से उनके एक अन्य शिष्य विनयदेवसूरि का भी ज्ञात होता है, जिनसे सुधर्मागच्छ अस्तित्व में आया । इसी प्रकार पट्टावलियों से जहाँ समरचन्द्रसूरि के एक शिष्य राजचन्द्रसूरि का नाम ज्ञात होता है, वहीं ग्रन्थ प्रशस्तियों से उनके दूसरे शिष्य रत्नचारित्र तथा प्रशिष्यों विमलचारित्र और वच्छराज का भी पता चलता है । इनके द्वारा रची गयी विभिन्न कृतियां मिलती हैं। राजचन्द्रसूरि के अन्य शिष्यों हंसचन्द्र, देवचन्द्र, श्रवणऋषि तथा उनके प्रशिष्यों पूंजाऋषि, वीरचन्द्र, मेघराज आदि के नाम ग्रन्थ प्रशस्तियों से ही ज्ञात होते हैं ।
इसी प्रकार जैसा कि ऊपर हम देख चुके हैं पट्टावलियों में जयचन्द्रसूरि के पट्टधर के रूप में पद्मचन्द्रसूरि का नाम मिलता है ।
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