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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास जैसा कि ऊपर देख चुके हैं प्रथम पट्टावली में पद्मप्रभसूरि के पट्टधर प्रसन्नचन्द्रसूरि द्वारा वि०सं० ११७४ में नागपुरीयतपागच्छ की स्थापना का उल्लेख है। चूंकि नागपुरीयतपागच्छ से सम्बद्ध ग्रन्थ प्रशस्तियों तथा अन्य सभी पट्टावलियों में समान रूप से पद्मप्रभसूरि को यह श्रेय दिया गया है, अतः उक्त विवरण को पट्टावलीकार की भूल मानी जाये अथवा लेहिया की या ग्रन्थ के सम्पादक की, यह विचारणीय है।
चूंकि पार्श्वचन्द्रगच्छ का प्रादुर्भाव नागपुरीयतपागच्छ के मुनि साधुरत्न के शिष्य पार्श्वचन्द्रसूरि से हुआ है और जैसा कि पट्टावलियों में ऊपर हम देख चुके हैं इनमें पार्श्वचन्द्रसूरि और इनकी शिष्य परम्परा में हुए पट्टधर आचार्यों का क्रम एक-दो नामों को छोड़कर प्रायः समान रूप से मिलता है, जिसे एक तालिका के रूप में निम्न प्रकार से रखा जा सकता है : तालिका - ६
पार्श्वचन्द्रसूरि समरचन्द्रसूरि राजचन्द्रसूरि विमलचन्द्रसूरि जयचन्द्रसूरि पद्मचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि नेमिचन्द्रसूरि
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