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जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास पार्श्वचन्द्रसूरि समरचन्द्रसूरि राजचंद्रसूरि श्रवणऋषि वाचक मेघराज (वि०सं० १६६४/ई०स० १६०८ में
नलदमयन्तीरास के रचनाकार) वाचक मेघराज द्वारा रची गयी सोलहसतीरास, पार्श्वचन्द्रस्तुति, सद्गुरुस्तुति, राजप्रश्नीयउपांगबालावबोध (वि०सं० १६७०), समवायांगसूत्रबालावबोध, उत्तराध्ययनसूत्रबालावबोध, औपपातिकसूत्रबालावबोध, साधुसमाचारी (वि०सं० १६६१), क्षेत्रसमासबालावबोध (वि०सं० १६७०) आदि विभिन्न कृतियां मिलती हैं।
जम्बूपृच्छारास (रचनाकाल वि०सं० १७२८/ई०स० १६७२) की प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि इसके रचनाकार वीरचन्द्र भी पार्श्वचन्द्रगच्छ से सम्बद्ध थे । इन्होंने अपनी गुरु-परम्परा निम्नलिखित रूप से बतलायी
पार्श्वचन्द्रसूरि
समरचन्द्रसूरि राजचन्द्रसूरि देवचन्द्र वीरचन्द्र (वि०सं० १७२८/ई०स० १६७२ में जम्बूपृच्छारास
के रचनाकार) जयचन्द्रसूरि के एक शिष्य वाचक प्रमोदचंद्र हुए, जिनके द्वारा भी
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