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________________ ८१२ जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास करने का एक प्रयास किया गया है । अध्ययन की सुविधा के लिये सर्वप्रथम साहित्यिक साक्ष्यों-ग्रन्थ एवं पुस्तक प्रशस्तियों तथा पट्टावलियों और इनके पश्चात् अभिलेखीय साक्ष्यों का विवरण प्रस्तुत है। जैसा की ऊपर कहा जा चुका है आचार्य पार्श्वचन्द्रसूरि अपने समय के विद्वान् और प्रभावक जैन मुनि थे । उनके द्वारा रची गयी अनेक महत्त्वपूर्ण कृतियाँ मिलती हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं : १. आचारांगप्रथमश्रुतस्कन्धबालावबोध २. तंदुलवेचारियपयन्नाबालावबोध ३. प्रश्नव्याकरणसूत्रबालावबोध ४. औपपातिकसूत्रबालावबोध ५. सूत्रकृतांगसूत्रबालावबोध ६. रूपकमाला (रचनाकाल वि०सं० १५८६) ७. साधुवंदना ८. चारित्रमनोरथमाला ९. श्रावकमनोरथमाला १०. संगरंगप्रबन्ध ११. वस्तुपाल तेजपालरास (रचनाकाल वि०सं० १५९७) १२. मुंहपत्तिछत्तीसी १३. केशिप्रदेशीबंध १४. खंधकचरित्र (रचनाकाल वि०सं० १६००) इनके शिष्य समरचन्द्र भी विद्वान् जैनाचार्य थे। अपने गुरु पार्श्वचन्द्रसूरि की स्तुति में इन्होंने पार्श्वचन्द्रसूरिस्तुतिसंझाय की रचना की । इनके द्वारा रचित अन्य कृतियों का विवरण निम्नानुसार है : १. चतुर्विंशतिजिननमस्कार (रचनाकाल वि०सं० १५८८) २. प्रत्याख्यानचतुःसप्ततिका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003615
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages698
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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