SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 181
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४० 3 जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास तसु पाटि नयनानंद अमीबिंदु गुरु, श्रीहेमरत्नसूरिमुणिंद । आगमगच्छ प्रकाश दिणिंद, जसु दीसइ वर परि चरविंद ।। सुगुरु पसाइं नयर गोआलेर, धणी पुण्यसार रिद्धिइ कुबेर । तासु गुण इम वर्णवइ अजस्त्र, साधुमेरुगणि पंडित मिश्र ।। मोहनलाल दलीचन्द देसाई-जैनगूर्जरकविओ (नवीन संस्करण, अहमदाबाद १९८६ ई०) भाग १, पृ० ८५ और आगे. ३. देसाई, पूर्वोक्त, पृ० ४७८ और आगे. वही, पृ० २०१-२०२ मोहनलाल दलीचन्द देसाई-जैनगूर्जरकविओ पृ० ३३७ और आगे. शितिकंठ मिश्र-हिन्दी जैन साहित्य का बृहद् इतिहास [भाग-१] मरु-गूर्जर (वाराणसी १९९० ई०) पृ० ४००. शितिकंठ, मिश्र, पूर्वोक्त, पृ० ३३४ और आगे. कर्मग्रन्थ-रचनाकाल वि० सं० १४५०. मलयसुन्दरीकथा-रचनाकाल अज्ञात् [यह कृति प्रकाशित हो चुकी है] सुलसाचरित-[प्राचीनतम प्रति वि० सं० १४५३] कथाकोश [वि० सं० १५वीं शती का मध्य] स्थूलभद्रकथानक-यह कृति प्रकाशित हो चुकी है. मल्लिनाथचरित-रचनाकाल १३वीं शती के आसपास. ११. स्थूलिभद्ररास-रचनाकाल १६वीं शती के प्रथम चरण के आसपास. ००० ) १०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003614
Book TitleJain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2009
Total Pages714
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy