________________
जैन श्वेताम्बर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास
मुनिसागरसूरि द्वारा रचित आगमिकगच्छपट्टावली में अभयसिंहसूरि के पश्चात् सोमतिलकसूरि से मुनिरत्नसूरि तक ७ आचार्यों का क्रम इस प्रकार मिलता है -
७२
सोमतिलकसूरि
|
सोमचंद्रसूरि
|
गुणरत्नसूरि
| मुनिसिंहसूरि
शीलरत्नसूरि
आनन्दप्रभसूरि
|
मुनिरत्नसूरि
साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर इस पट्टावली के गुणरत्नसूरि और मुनिरत्नसूरि के अन्य शिष्यों के सम्बन्ध में भी जानकारी प्राप्त होती है ।
Jain Education International
गजसिंहकुमार (रचनाकाल वि० सं० १५१३) की प्रशस्ति में रचनाकार देवरत्नसूरि ने अपने गुरु गुणरत्नसूरि का ससम्मान उल्लेख किया है ।
इसी प्रकार मलयसुन्दरीरास (रचनाकाल वि० सं० १५४३ ) और कथाबत्तीसी (रचनाकाल वि० सं० १५५७) की प्रशस्तियों में रचनाकार ने
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org